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    मस्जिद में सपा की बैठक: अखिलेश बोले, धर्म ही उनका हथियार, मौर्य बोले-वे समाजवादी नहीं, नमाजवादी

    उत्तर प्रदेश की राजनीति में धर्म और सियासत का घालमेल एक बार फिर सुर्खियों में है। समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा एक मस्जिद में बैठक आयोजित करने और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के “उनका हथियार ही धर्म” वाले बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘समाजवादी’ नहीं, बल्कि ‘नमाजवादी’ करार दिया है।

    मस्जिद में सपा की बैठक और अखिलेश का बयान:

    दरअसल, समाजवादी पार्टी ने हाल ही में मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने के लिए एक अभियान शुरू किया है। इसी कड़ी में मंगलवार (22 जुलाई 2025) को लखनऊ की एक मस्जिद में सपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की एक बैठक हुई। इस बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि “उनका (भाजपा का) हथियार ही धर्म है। वे धर्म के नाम पर समाज को बांटते हैं।” अखिलेश ने मुस्लिम समुदाय से एकजुट होकर सपा को मजबूत करने की अपील की।

    डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य का पलटवार:

    अखिलेश यादव के इस बयान और मस्जिद में हुई बैठक पर भाजपा ने तुरंत पलटवार किया। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सपा पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। मौर्य ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए कहा, “सपा अब समाजवादी नहीं, बल्कि ‘नमाजवादी’ पार्टी बन गई है। यह उनके वोट बैंक की राजनीति का नग्न प्रदर्शन है।” उन्होंने आगे कहा कि “अखिलेश यादव पहले मंदिरों में जाने का नाटक करते थे, लेकिन अब मस्जिद में बैठकें कर अपनी असली पहचान दिखा रहे हैं।”

    मौर्य ने सपा पर धर्म के आधार पर राजनीति करने और समाज में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर काम करती है, जबकि सपा केवल एक विशेष वर्ग को खुश करने में लगी रहती है।

    राजनीतिक विश्लेषकों की राय

    राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सभी दल अपने-अपने वोट बैंक को साधने में लगे हैं। सपा मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा ध्रुवीकरण की राजनीति के माध्यम से अपने हिंदू वोट बैंक को एकजुट रखना चाहती है। यह बयानबाजी आने वाले दिनों में और तेज होने की संभावना है, क्योंकि चुनाव नजदीक आ रहे हैं।

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