उत्तर प्रदेश के बरेली में हाल ही में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रतिनिधिमंडल को जिले में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। प्रशासन का तर्क है कि इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है, जबकि सपा इसे लोकतंत्र का गला घोंटना बता रही है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश पर, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय के नेतृत्व में 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को बरेली जाना था। हालांकि, लखनऊ पुलिस ने माता प्रसाद पांडेय को उनके आवास पर ही हाउस अरेस्ट कर लिया और उन्हें नोटिस जारी कर बरेली न जाने की हिदायत दी।
इसी तरह, संभल से सांसद जियाउर्रहमान बर्क के घर के बाहर भी भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया, जिससे वह भी बरेली नहीं जा पाए। सांसद इकरा हसन और हरेंद्र मलिक को भी बरेली की सीमा के पास रोककर वापस भेज दिया गया।
बरेली प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि जिले में फिलहाल निषेधाज्ञा लागू है और शांति बनाए रखने के लिए किसी भी बाहरी नेता को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
माता प्रसाद पांडेय ने प्रशासन की कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, “हम कोई अराजकता फैलाने नहीं जा रहे हैं। हमें इसलिए रोका जा रहा है ताकि सरकार अपने अवैधानिक कामों और गैरकानूनी गिरफ्तारियों को छिपा सके।” उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई से एक समुदाय डरा हुआ है। पुलिस की इस सख्ती से समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है।