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    दिल्ली में कभी मोदी तो कभी केजरीवाल.. हर बार ऐसे बदला जनता का मिजाज

    दिल्ली की राजनीति में लगातार बदलाव देखने को मिला है। 1993 में विधानसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत मिला तो इसके बाद कांग्रेस ने 15 साल राज किया। अब 12 साल से यहां आप की सत्ता है। इनमें 11 साल से केंद्र में मोदी सरकार है। 2013 के बाद से जनता ने विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में अपना पूर्ण समर्थन कांग्रेस और आप को दिया है। जनता का मानना है कि विधानसभा में केजरीवाल उनके लिए बेहतर साबित होंगे तो केंद्र में मोदी पर ही जनता ने विश्वास जताया है। यही वजह है कि 2014, 19 और 24 में मोदी को 7 में से 7 सीटें जनता ने जिताकर दीं।

    ऐसा रहे चुनाव के नतीजे

    • 1993 में भाजपा 49 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी और कांग्रेस को 14 सीटें मिलीं, जबकि अन्य दल और निर्दलीय सात सीटों पर काबिज हुए।
    • 1998 के चुनावों में कांग्रेस ने 52 सीटें जीतकर भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया। भाजपा केवल 17 सीटों पर सिमट गई।
    • 2003 के चुनाव में कांग्रेस ने 47 सीटों पर जीत हासिल की और लगातार दूसरी बार शीला दीक्षित मुख्यमंत्री बनीं।
    • 2008 में कांग्रेस ने 43 सीटें जीतकर अपनी सत्ता बरकरार रखी, भाजपा ने जीतीं थीं 31 सीटें
    • 2013 में आप ने 28 सीटें जीतकर धमाकेदार एंट्री की और भाजपा 31 सीटों के साथ सबसे बड़ा दल तो रहा। कांग्रेस आठ सीटों पर सिमट गई। आप ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई थी, लेकिन यह केवल 49 दिन ही चल पाई थी।
    • 2015 के चुनाव में आप ने 70 में से 67 सीटें जीत लीं। भाजपा को केवल तीन सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस शून्य पर रही।
    • 2020 में आप ने 62 सीटें जीतीं तो भाजपा केवल आठ सीटों पर सिमट गई, कांग्रेस फिर शून्य पर रही।
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