भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर खुलकर बात की है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि भले ही भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत हो, लेकिन कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर भारत किसी भी तरह का समझौता नहीं कर सकता। उनका यह बयान भारत की आत्मनिर्भर और स्वतंत्र विदेश नीति का एक मजबूत संकेत है।
जयशंकर ने कहा कि भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं। उन्होंने खासकर पाकिस्तान के मुद्दे पर भारत की स्थिति को दोहराया। जयशंकर ने कहा, “पाकिस्तान के मामले में हमने कभी भी किसी की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है और न ही भविष्य में करेंगे।” उनका यह बयान सीधे तौर पर उन पुराने दावों का जवाब था, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की थी। जयशंकर ने उस समय भी अमेरिका को दो टूक जवाब दिया था, और अब उन्होंने एक बार फिर इस नीति को मजबूती से सामने रखा है।
जयशंकर ने कहा कि भारत की विदेश नीति अब किसी दबाव में काम नहीं करती। उन्होंने ट्रंप का नाम लिए बिना कहा कि कुछ बड़े देशों के नेता यह सोचते हैं कि वे किसी भी देश के लिए कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन भारत को उन नेताओं को आईना दिखाना आता है।
यह दर्शाता है कि भारत अब एक वैश्विक शक्ति के रूप में अपने हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार है। जयशंकर के अनुसार, भारत अपनी शर्तों पर दुनिया के साथ संबंध बनाएगा और किसी भी देश के दबाव में नहीं आएगा।