आप के पूर्व नेता और कवि, प्रवचनकार कुमार विश्वास ने एक बार फिर अपनी कविता के जरिए विरोधियों पर तंज कसा है। राणा सांगा के शौर्य का बखान करते हुए विश्वास ने कहा कि देश के कुछ लोग इस जुगत में रहते हैं कि वे अपने राजनीतिक हित साधने के लिए इस राष्ट्र की महान विभूतियों के प्रति अपशब्द बोलते रहें। महाराणा सांगा भारत के ऐसे अप्रतिम योद्धा हैं जिन्होंने अपने देश की सीमा की रक्षा के लिए अपने शरीर के 80 घावों की उपेक्षा कर रणक्षेत्र में स्वयं उपस्थित रखा। उनके प्रति इतना निंदनीय बयान देना शोभा नहीं देता।
यह है विश्वास की कविता
जुगनू की कुछ औलादों ने सूरज पर प्रश्न उठाए हैं
शेरों की मादों के आगे कुछ ग्रामसिंह चिल्लाए हैं
मेवाड-वंश कुल-कीर्तिकोष जिनके होने से दीपित है
उन राणा सांगा के घावों पर कुछ भुनगे मँडराए हैं ।
उनसे कह दो अब देश शौर्य की मुठ्ठी खूब तानता है
उनसे कह दो यह देश महाराणा की ज्योति जानता है
इतिहास तुम्हारी सरकारों का बंधक नहीं रहेगा अब
उनसे कह दो यह देश लुटेरों को अब नहीं मानता है॥
उनसे कह दो यह देश ऋणी है ऐसे पुण्य-प्रवाहों का
यह देश ऋणी है वीर शिवा के परम प्रतापी छावों का
उनसे कह दो वे राजनीति का गुणा भाग घर में रक्खें
यह देश ऋणी है महाराणा सांगा के अस्सी घावों का ॥
यह बोले थे सपा नेता रामजी लाल सुमन
समाजवादी पार्टी के नेता रामजी लाल सुमन ने मेवाड़ के राणा सांगा पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राणा सांगा ने मुगल शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने का न्योता दिया था। राणा सांगा ने बाबर को दिल्ली का सिंहासन देने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि राजपूत राजाओं ने हमेशा देशद्रोह किया है। उनके इस बयान ने राजपूत समुदाय में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। रामजी लाल सुमन ने अपने बयान पर स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इतिहास के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश नहीं किया है। उन्होंने जो कहा है वह ऐतिहासिक साक्ष्यों पर आधारित है। सुमन ने कहा कि उनका उद्देश्य किसी भी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था।