उत्तर भारत में मौसम ने अचानक करवट ली है, जिससे मैदानी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों में ठंड का प्रकोप बढ़ गया है। पहाड़ों पर बर्फबारी हो रही है, जबकि मैदानी इलाकों में कंपकंपाने वाली सर्द हवाएं चल रही हैं। इस संयुक्त प्रभाव से जनजीवन पर गहरा असर पड़ा है, खासकर दिल्ली-एनसीआर में जहां जाड़े और प्रदूषण की दोहरी मार पड़ रही है।
पहाड़ों पर बर्फ़बारी और शीतलहर का कहर
- बर्फबारी की वापसी: पहाड़ों पर नए पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के सक्रिय होने से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो रही है और कड़ाके की ठंड लौट आई है।
- अत्यधिक ठंड: कश्मीर घाटी में तापमान गिरकर माइनस 18 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
- चेतावनी: उत्तराखंड में 12 दिसंबर से शीतलहर का प्रकोप तेजी से बढ़ने के आसार हैं, और चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग जैसे हिमालयी जिलों में भारी बर्फबारी की चेतावनी जारी की गई है।
🌬️ मैदानी इलाकों में कोहरा और शीतलहर
- सर्द हवाएं: हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मैदानी भागों में शीतलहर और तेज सर्द हवाएं लोगों को परेशान कर रही हैं।
- घना कोहरा: पंजाब और हरियाणा के बड़े हिस्सों में घने कोहरे की परत छाई रहने की संभावना है, जिससे विजिबिलिटी (दृश्यता) कम होने के कारण सड़क और रेल यातायात पर असर पड़ेगा।
दिल्ली में प्रदूषण का ‘टॉक्सिक कॉकटेल’
दिल्ली-एनसीआर में ठंड के साथ-साथ प्रदूषण का स्तर भी चिंताजनक बना हुआ है।
- वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI): दिल्ली-एनसीआर में दिन में धूप रहने के बावजूद वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 349 तक पहुंच गया है, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।
- स्वास्थ्य जोखिम: ‘बहुत खराब’ श्रेणी का AQI लंबे समय तक संपर्क में रहने पर स्वस्थ व्यक्तियों में भी सांस संबंधी बीमारियों का खतरा पैदा कर सकता है।
- दोहरी चुनौती: ठंडी और स्थिर हवाएं प्रदूषण के कणों को सतह के पास फंसा लेती हैं, जिससे ठंड और जहरीली हवा का “टॉक्सिक कॉकटेल” बन जाता है।
मौसम विभाग का अनुमान है कि आने वाले दिनों में तापमान में और गिरावट आएगी, शीतलहर की तीव्रता बढ़ेगी, और हिमालयी इलाकों में भारी बर्फबारी की संभावना बनी रहेगी।


