कांग्रेस नेता राहुल गांधी 2 अगस्त 2025 को विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे, तभी हॉल में मौजूद उनके समर्थकों ने जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। नारे लग रहे थे, “देश का राजा कैसा हो, राहुल गांधी जैसा हो।” इन नारों को सुनकर राहुल गांधी ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और अपने समर्थकों को शांत करते हुए कहा, “मैं राजा नहीं हूं, राजा बनना भी नहीं चाहता हूं।”
लोकतंत्र में जनता ही राजा
राहुल गांधी ने समर्थकों को समझाते हुए कहा कि लोकतंत्र में राजा का कोई स्थान नहीं होता। उन्होंने कहा, “आप जिस व्यक्ति को राजा कहते हैं, वह तानाशाह हो सकता है। लोकतंत्र में जनता राजा होती है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि वह एक नेता नहीं बल्कि जनता के सेवक बनना चाहते हैं। राहुल ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इसी विचार पर चलती है, जहां हर कार्यकर्ता और नेता जनता के प्रति जवाबदेह होता है। राहुल ने कहा, संविधान- ये वो ताकत है, जो देश के हर नागरिक को सम्मान के साथ जीने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने का हौसला देता है। हमें इसी ताकत के साथ आगे बढ़ना है। अन्याय को रोकना है, नफरती को हराना है।
राहुल गांधी ने कहा कि हमें गर्व है कि स्वतंत्रता संग्राम के बाद, आजाद हिंदुस्तान में हमारे संविधान ने देश के गरीब, अमीर, मजदूर से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक को एक बराबर का हक और सम्मान दिया है और एक वोट की ताकत दी। देश के संविधान ने हमेशा से वंचित, शोषित और हाशिए पर पड़े उन तमाम दलितों और आदिवासियों को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है। देश के संविधान के लिए हर भारतीय एक समान है। आदर्शों और सिद्धांतों पर चलकर कांग्रेस की सरकार ने देश और जनता के लिए काम किया और अधिकारों की क्रांति लाई। BJP सरकार बिहार में SIR के जरिए वोट चोरी कर रही है। सरकार देश के गरीबों, वंचितों, दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के सबसे ताकतवर हथियार- वोट का अधिकार- को छीनने की कोशिश कर रही है। मुझे गर्व है कि आज विज्ञान भवन के सभागार में वो लोग मौजूद हैं, जो बुलंदी से लोगों के अधिकार के लिए और अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं।
क्यों दिया यह बयान?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी का यह बयान एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। वह खुद को एक सामान्य जन-नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, न कि किसी ‘वंशवाद’ के उत्तराधिकारी के तौर पर। यह बयान भाजपा द्वारा कांग्रेस पर लगाए जाने वाले ‘वंशवाद’ के आरोपों का भी जवाब है।
अपने संबोधन के दौरान, राहुल गांधी ने महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं को लेकर केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश की मौजूदा सरकार लोकतंत्र के बजाय तानाशाही की तरफ बढ़ रही है। उन्होंने जनता से लोकतंत्र को बचाने के लिए एकजुट होने की अपील की। यह घटना राहुल गांधी के राजनीतिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करती है, जिसमें वह खुद को ‘राजा’ के बजाय ‘सेवक’ के रूप में पेश करने का प्रयास कर रहे हैं।