भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला आज शाम अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से अपने स्पेसक्राफ्ट को अनडॉक करने के बाद धरती पर लौटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और नासा (NASA) के संयुक्त मिशन के तहत अंतरिक्ष में गए शुभांशु की वापसी को लेकर भारत सहित दुनिया भर में उत्सुकता बनी हुई है।
अनडॉकिंग की प्रक्रिया बेहद जटिल होती है, जिसमें स्पेसक्राफ्ट को ISS से सुरक्षित रूप से अलग किया जाता है और उसे पृथ्वी की ओर लौटने के लिए तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया को ग्राउंड कंट्रोल टीम द्वारा बारीकी से मॉनिटर किया जाता है। अनडॉकिंग शाम शाम 4:35 बजे IST पर होगी। स्पेसक्राफ्ट 22.5 घंटे की यात्रा के बाद मंगलवार दोपहर 3:01 बजे IST पर कैलिफोर्निया के तट के पास समुद्र में स्प्लैशडाउन करेगा। यह प्रक्रिया स्वचालित होगी और उसमें मैनुअल हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
वापसी की प्रक्रिया और लैंडिंग
ISS से अलग होने के बाद, स्पेसक्राफ्ट कई घंटे तक पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाएगा। इसके बाद, री-एंट्री बर्न (Re-entry Burn) की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें स्पेसक्राफ्ट के थ्रस्टर्स का उपयोग करके उसकी गति को कम किया जाएगा ताकि वह पृथ्वी के वायुमंडल में नियंत्रित तरीके से प्रवेश कर सके।
स्पेसक्राफ्ट के वायुमंडल में प्रवेश करते ही, बाहरी परत पर अत्यधिक घर्षण के कारण उसका तापमान हजारों डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा, जिससे एक चमकदार आग का गोला दिखाई देगा। यह एक सामान्य प्रक्रिया है और अंतरिक्ष यान को इस अत्यधिक गर्मी का सामना करने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया जाता है।
इसके बाद, निर्दिष्ट ऊंचाई पर पहुंचने पर पैराशूट की एक श्रृंखला खुलेगी, जो स्पेसक्राफ्ट की गति को धीरे-धीरे कम करेगी। शुभांशु का स्पेसक्राफ्ट मंगलवार दोपहर 3:01 बजे पृथ्वी पर लैंड करेगा। ग्राउंड टीमें लैंडिंग क्षेत्र में पहले से ही मौजूद रहेंगी ताकि लैंडिंग के तुरंत बाद शुभांशु और स्पेसक्राफ्ट को सुरक्षित रूप से रिकवर किया जा सके। उनकी वापसी न केवल भारत के लिए बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है।


