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    श्रेया त्यागी ने 4 बार ठुकराया IAS पद, IFS बनना था, चीन जाने की है चाहत..!

    कड़ी मेहनत और अटूट दृढ़ संकल्प की बदौलत इंसान हर मुश्किल को पार कर सकता है। ऐसी ही एक कहानी है उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के छोटे-से गांव पुरा की रहने वाली श्रेया त्यागी की, जिन्होंने आईएफएस (IFS) बनने की अपनी जिद में यूपीएससी (UPSC) परीक्षा को एक नहीं, बल्कि चार बार पास किया। उनकी यह यात्रा साबित करती है कि अगर लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।


    यूपीएससी में बार-बार मिली सफलता

    श्रेया ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली थी। लेकिन उनकी रैंक कम होने की वजह से उन्हें भारतीय राजस्व सेवा (IRS) मिली। उनका सपना हमेशा से ही भारतीय विदेश सेवा (IFS) में जाने का था। इसलिए उन्होंने इस पद को स्वीकार नहीं किया और फिर से तैयारी में जुट गईं।

    इसके बाद उन्होंने तीन और बार यूपीएससी की परीक्षा दी और हर बार सफल रहीं। एक बार तो उन्हें 31वीं रैंक भी मिली, जो कि एक बहुत अच्छी रैंक थी और उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का पद मिल रहा था। श्रेया का लक्ष्य आईएएस नहीं, बल्कि IFS बनना था। इसी जिद में उन्होंने इस प्रतिष्ठित पद को भी ठुकरा दिया। 2024 में UPSC परीक्षा को चौथी बार सफलतापूर्वक पास करने वालीं श्रेया त्यागी को 5 अगस्त 2025 को UPSC ने सफल उम्मीदवारों को सर्विस कैडर अलॉट किया है।


    आईएफएस बनने का सपना हुआ पूरा

    श्रेया के परिवार और दोस्तों ने उन्हें समझाया कि आईएएस का पद कितना महत्वपूर्ण है, लेकिन वह अपने फैसले पर अडिग रहीं। उनका मानना था कि करियर का चुनाव सिर्फ पद और प्रतिष्ठा पर आधारित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसमें अपनी रुचि और पैशन भी शामिल होना चाहिए।

    चौथे प्रयास में उन्हें उनकी पसंद की सेवा, भारतीय विदेश सेवा (IFS), मिल गई। उनकी सफलता की यह कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। श्रेया त्यागी ने यह साबित कर दिया कि जब तक आप अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर लेते, तब तक हार नहीं माननी चाहिए। उनका दृढ़ संकल्प और मेहनत ही उनकी सफलता की असली कुंजी है।


    चीन में भारत की राजनयिक बनना चाहती हैं

    श्रेया को प्रेरणा तब मिली, जब वह बहरीन में थीं, जहाँ भारतीय दूतावास को काम करते देखा और तभी दिल में एक सपना पलने लगा कि मैं एक दिन भारत की राजनयिक बनूंगी। श्रेया अब चीन में भारत की राजनयिक बनकर काम करना चाहती हैं। श्रेया मानती हैं कि भारत की विदेश नीति में चीन को समझना बहुत अहम है और वह उसमें योगदान देना चाहती हैं।

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