बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (PK) की पार्टी जनसुराज का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। शुरुआती रुझानों के आधार पर ऐसी आशंका जताई जा रही है कि उनकी पार्टी का कुल वोट प्रतिशत NOTA (None of the Above) को मिले वोटों से भी कम हो सकता है।
रुझानों में जनसुराज शून्य पर
- चुनाव आयोग (ECI) की आधिकारिक वेबसाइट पर अभी तक जनसुराज पार्टी का कोई भी उम्मीदवार किसी भी सीट पर निर्णायक बढ़त हासिल नहीं कर पाया है। कई सीटों पर शुरुआती बढ़त खोने के बाद पार्टी शून्य सीटों की ओर बढ़ती दिख रही है।
- हालांकि ECI की वेबसाइट पर कुल मतदान प्रतिशत या पार्टी-वार वोट शेयर अभी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित नहीं हो रहा है, लेकिन विभिन्न सीटों से आ रहे रुझानों के व्यक्तिगत आंकड़े चिंताजनक तस्वीर पेश कर रहे हैं।
NOTA का प्रदर्शन भारी
कई विधानसभा क्षेत्रों के व्यक्तिगत नतीजों में यह देखने को मिल रहा है कि NOTA के बटन को दबाने वाले मतदाताओं की संख्या, जनसुराज पार्टी के उम्मीदवारों को मिले वोटों की संख्या से अधिक है।
- उदाहरण के लिए, एक रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ सीट पर NOTA पर 1,753 वोट दर्ज हुए हैं, जबकि जनसुराज के उम्मीदवार को केवल 1,514 वोट मिले हैं।
- यह दर्शाता है कि मतदाताओं ने एक नए राजनीतिक विकल्प (जनसुराज) को चुनने के बजाय, किसी भी उम्मीदवार को वोट न देने (NOTA) को प्राथमिकता दी है।
पीके का ‘प्रयोग’ विफल
प्रशांत किशोर, जिन्होंने अपनी पार्टी को बिहार के पुनरुत्थान के लिए एक गैर-पारंपरिक विकल्प के रूप में पेश किया था, उनका यह पहला चुनावी प्रयोग पूरी तरह विफल होता दिख रहा है। पार्टी ने 200 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली।
- चुनाव विश्लेषकों का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में सीमित पहुंच, पार्टी का नयापन और मतदाताओं द्वारा इसे ‘अनटेस्टेड’ पार्टी मानने की वजह से वोट ट्रांसफर नहीं हो सका।
- कई एक्जिट पोल ने भी जनसुराज को 0-5 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था, जो अब सही साबित होता दिख रहा है।


