पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख असीम मुनीर का बहुप्रचारित व्हाइट हाउस दौरा एक ‘फ्लॉप शो’ साबित हुआ है। भू-राजनीतिक विश्लेषकों और विशेषज्ञों ने इस मुलाकात को प्रोटोकॉल के लिहाज से अपमानजनक और निराशाजनक बताया है। दावा किया जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों पाकिस्तानी नेताओं को अपने से मिलने के लिए बगल के कमरे में 30 मिनट तक इंतजार करवाया।
लंदन के भू-राजनीतिक विश्लेषक ओमर वजीरी ने इस मुलाकात का विश्लेषण करते हुए इसे पूरी तरह से अलग और असामान्य बताया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “न कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, न ही व्हाइट हाउस में नेताओं के चलते हुए नाटकीय दृश्य दिखे, और न ही कोई सामान्य कूटनीतिक धूमधाम। बस कुछ तस्वीरें पाकिस्तानी पक्ष ने बेमन से जारी कीं।” वजीरी के मुताबिक, आमतौर पर अन्य विश्व नेताओं की ट्रंप के साथ मुलाकात के वीडियो और तस्वीरें जारी होती हैं, लेकिन इस बार पूरी तरह से ब्लैकआउट रहा।
वजीरी ने बताया कि ट्रंप-शरीफ-मुनीर की मुलाकात 30 मिनट की देरी से शुरू हुई और कुल 1 घंटा 20 मिनट तक चली। उन्होंने इसे केवल “हाथ मिलाने और रूखी मुस्कान तक सीमित” बताया।
दक्षिण एशिया मामलों के विश्लेषक माइकल कुगलमैन ने भी इस मुलाकात को राजकीय यात्रा मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि शरीफ का स्वागत एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने किया, जो कि एक राजकीय यात्रा का प्रोटोकॉल नहीं होता। कुगलमैन ने स्पष्ट किया, “प्रोटोकॉल सामान्य था। यह कोई राजकीय यात्रा नहीं थी।” उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल को एंड्रयूज एयर फोर्स बेस से व्हाइट हाउस तक जाने के लिए जो काफिला मिला, वह भी सामान्य मानकों के अनुरूप था, न कि किसी विशेष राजकीय अतिथि के लिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि जिस तरह से पाकिस्तान ने इस दौरे को एक बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश करने की कोशिश की थी, उसका वास्तविक परिणाम इसके ठीक विपरीत निकला। ट्रंप का रुख पाकिस्तान के प्रति उदासीनता भरा रहा और इस मुलाकात ने दोनों देशों के बीच संबंधों की मौजूदा स्थिति को साफ तौर पर उजागर कर दिया। यह दौरा पाकिस्तान के लिए एक कूटनीतिक हार माना जा रहा है।