कांग्रेस सांसद शशि थरूर पार्टी से नाराज हैं। इस पर भले ही थरूर ने खुलकर कुछ नहीं कहा हो, लेकिन अंदरखाने यही खबर है कि वे पार्टी में अपने लिए अहम जिम्मेदारी संभालना चाहते हैं। वे केरल में मुख्यमंत्री का चेहरा बनना चाहते हैं। हालांकि राहुल गांधी से मिलने के बाद भी उन्हें ठोस आश्वासन नहीं मिल पाया है। ऐसे में शशि थरूर कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। संभव है कि वे सीपीएम में शामिल हो जाएं। बहरहाल थरूर के बाद एक और वरिष्ठ नेता ने पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। ये नेता हैं राशिद अल्दी जो पार्टी का सौम्य चेहरा माने जाते हैं। वे राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं और इन दिनों पार्टी से साइडलाइन चल रहे हैं।
जमीन से जुड़े नेताओं को किनारे लगाने से नुकसान
राशिद अल्वी ने कहा कि पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के कारण यह दुर्गति हो रही है। जमीन से जुड़े नेताओं को किनारे लगाने से पार्टी को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि अनुभवी नेताओं को पार्टी की मुख्य धारा में शामिल नहीं करने से पार्टी को क्षति पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी में कई वरिष्ठ, अनुभवी और जमीन से जुड़े नेता हैं। लेकिन इन्हें दरकिनार कर दिया गया है। हमें इन्हें पार्टी की मुख्यधारा में लाना होगा, तभी कांग्रेस मजबूत होगी। अगर हम अनुभवी नेताओं को मुख्य धारा में नहीं लाएंगेे तो पार्टी का भला नहीं होने वाला।
पार्टी की लगातार हार से उठे सवाल
पिछले 11 सालों में कांग्रेस को लगातार हार का सामना करना पड़ा है। लगातार 3 लोकसभा चुनाव में पार्टी हारी है। 2024-25 में हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में हार की हैट्रिक पूरी हो चुकी है। लोकसभा में कांग्रेस 99 सीटें जीतकर जो इतरा रही थी, भाजपा ने उसे हार की गर्त में धकेल दिया है। इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यहां वह गठबंधन सहयोगी ही है। यहां हार से पार्टी की भूमिका पर फिर सवाल उठेंगे।