चीन के किंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में एक संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका। इसका मुख्य कारण भारत का उस मसौदा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करना था। भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर अपने कड़े रुख को दोहराते हुए कहा कि बयान में आतंकवाद पर ‘कमजोर भाषा’ का इस्तेमाल किया गया था और जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले का उल्लेख नहीं था।
भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में स्पष्ट संदेश दिया कि कुछ देश आतंकवाद को अपनी नीति के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं और ऐसे तत्वों को पनाह दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के साथ-साथ उनके प्रायोजकों और फंड देने वालों को भी न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। सिंह ने अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का विशेष रूप से उल्लेख किया, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे। भारत का मानना था कि मसौदा बयान में इस महत्वपूर्ण घटना का जिक्र न होना और आतंकवाद पर पाकिस्तान-चीन के नरम रुख से भारत की स्थिति कमजोर होती।
बैठक में क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग और सदस्य देशों के बीच सैन्य सहयोग बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। हालांकि, आतंकवाद पर आम सहमति की कमी के कारण संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका। भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाता है और उन देशों को निशाना बनाने में संकोच नहीं करेगा जो आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं।
यह पहला अवसर नहीं है जब भारत ने SCO या अन्य बहुपक्षीय मंचों पर अपने स्वतंत्र रुख को बनाए रखा है। इससे पहले भी भारत ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) और ब्रिक्स मुद्रा बास्केट जैसी पहलों पर संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया है। यह कदम भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और आतंकवाद से निपटने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।