सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे पर सुनवाई शुरू हुई, जहां सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने डॉग लवर्स और पशु प्रेमियों पर एक तीखा कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “बहुत से लोग कहते हैं कि हमें जानवरों से प्यार है, लेकिन वे मीट भी खाते हैं। यह कैसा विरोधाभास है?” उनकी यह टिप्पणी उन लोगों पर थी जो आवारा कुत्तों को खिलाने और उनका बचाव करने की वकालत करते हैं, लेकिन खुद मांसाहार का सेवन करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई आवारा कुत्तों के हमलों से जुड़ी याचिकाओं पर हो रही है, जिनमें इन कुत्तों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं और लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जिन लोगों को कुत्तों से बहुत प्रेम है, उन्हें इन जानवरों को अपने घर में रखना चाहिए, न कि उन्हें सड़कों पर खिलाकर समस्या को और बढ़ाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि कुत्तों को खाना खिलाने वालों को उनकी जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए।
तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने यह भी तर्क दिया कि अगर आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह एक बड़ा सार्वजनिक खतरा बन सकता है। उन्होंने कहा कि केरल और अन्य राज्यों में आवारा कुत्तों के काटने और हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे लोगों में डर का माहौल है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनीं और कहा कि इस मुद्दे पर एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि कुत्तों की सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा, दोनों को ध्यान में रखते हुए एक नीति बनाई जानी चाहिए। यह सुनवाई अभी जारी है और इस पर एक ठोस निर्णय आने की उम्मीद है, जिससे इस जटिल समस्या का समाधान हो सके।