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    हमेशा याद किए जाएंगे सतीश शाह.. चार दशक से अधिक के करियर में निभाए यादगार किरदार

    प्रसिद्ध अभिनेता सतीश शाह का निधन मनोरंजन जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। अपने चार दशक से अधिक के करियर में, उन्होंने फिल्मों और टेलीविजन में कई यादगार भूमिकाएँ निभाईं, खासकर कॉमेडी में उनकी टाइमिंग बेमिसाल थी।सतीश शाह अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग, सहज अभिनय और हर किरदार में जान डालने की क्षमता के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उनके कुछ सबसे यादगार किरदार इस प्रकार हैं:

    1. इंद्रवदन साराभाई (‘साराभाई वर्सेस साराभाई’)

    • यह उनका सबसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय टीवी किरदार है। इंद्रवदन एक मजाकिया, व्यंग्यात्मक और शरारती गुजराती परिवार के मुखिया हैं, जो अपनी उच्च-वर्गीय पत्नी माया (रत्ना पाठक शाह) और कविताएँ लिखने वाले बेटे रोशेश की टांग खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। उनका हास्य, विशेष रूप से माया के साथ उनका नोंक-झोंक, इस शो को भारतीय टेलीविजन का एक कल्ट क्लासिक बना गया।

    2. प्रोफेसर माधव (‘मैं हूँ ना’)

    • 2004 की फिल्म ‘मैं हूँ ना’ में, सतीश शाह ने प्रोफेसर माधव रसाई का हास्यपूर्ण किरदार निभाया। यह एक ऐसा प्रोफेसर था जिसे बोलते समय अपने थूक की छींटों पर नियंत्रण नहीं रहता था। उनका यह किरदार, विशेष रूप से शाहरुख खान के साथ उनके सीन, दर्शकों को खूब हँसाते थे और फिल्म के सबसे यादगार कॉमिक पलों में से एक बन गया।

    3. म्युनिसिपल कमिश्नर डी’मेलो (‘जाने भी दो यारो’)

    • 1983 की व्यंग्यपूर्ण डार्क कॉमेडी ‘जाने भी दो यारो’ में उनका किरदार डी’मेलो, जो बाद में एक लाश बन जाता है, हिंदी सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित कॉमिक किरदारों में से एक है। महाभारत वाले क्लाइमेक्स सीन में उनकी ‘लाश’ वाली भूमिका ने शारीरिक कॉमेडी का एक नया मानक स्थापित किया।

    4. 55 अलग-अलग किरदार (‘ये जो है जिंदगी’)

    • 1984 के इस शुरुआती सिटकॉम में सतीश शाह ने हर एपिसोड में एक नया किरदार निभाया। उन्होंने पूरे शो में कुल मिलाकर 55 से अधिक अलग-अलग भूमिकाएँ (जैसे पुलिसवाला, डॉक्टर, इत्यादि) निभाईं। यह उनकी बहुमुखी प्रतिभा का प्रमाण था और उन्होंने उन्हें टेलीविजन पर एक घरेलू नाम बना दिया।

    5. करशन भाई पटेल (‘कल हो न हो’)

    • इस फिल्म में उन्होंने सैफ अली खान के गुजराती पिता करशन भाई पटेल का किरदार निभाया, जो अपने ऊर्जावान, अति-उत्साही व्यक्तित्व से कहानी में हास्य का तड़का लगाते थे।

    अन्य यादगार भूमिकाएँ:

    • ‘घर जमाई’: इसमें उन्होंने एक पंजाबी ससुर विशम्बर मेहरा का किरदार निभाया, जिसकी अपने दक्षिण भारतीय दामाद (आर. माधवन) के साथ मीठी नोक-झोंक दर्शको को पसंद आई।
    • फिल्मों में: उन्होंने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में अजित सिंह और ‘ओम शांति ओम’ में शाहरुख खान के पिता जैसे कई सहायक और हास्य भूमिकाओं से भी अपनी अमिट छाप छोड़ी।
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