जिस तरह काशी आज भव्य-दिव्य स्वरूप में नजर आती है, ऐसा ही कुछ प्रयागराज में भी रहा है। संगमनगरी के कायाकल्प के लिए योगी सरकार ने पर्याप्त बजट रखा है। खास तौर पर प्रयागराज महाकुंभ 2025 के लिए उप्र सरकार कोई कोर-कसर नहीं छोडऩा चाहती। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी की तर्ज पर कुंभ नगरी प्रयागराज के घाटों का पुनरुद्धार कई महीनों से चल रहा है। गंगा और यमुना नदी के 7 घाटों को नव्य स्वरूप दिया जा रहा है। इसका लगभग 50 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। हालांकि बारिश और बाढ़ के चलते यह काम प्रभावित हुआ है, लेकिन घाटों के सौंदर्यीकरण का काम महाकुंभ से पहले पूरा कर लिया जाएगा। पर्यटकों की सहूलियत की अन्य व्यवस्था पर भी फोकस किया जा रहा है, ताकि वे यहां पर अपना समय व्यतीत कर सकें।
11 करोड़ से घाटों का पुनरुद्धार
प्रयागराज महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र गंगा और यमुना के घाट होते हैं। वह इन घाटों पर गंगा और यमुना की पावन धारा में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। ऐसे में योगी सरकार इन घाटों का युद्धस्तर पर कायाकल्प कर रही है। जल निगम के कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन डिवीजन की तरफ से गंगा और यमुना नदी के इन 7 घाटों को नव्य और दिव्य स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। इन सातों घाटों का 11.01 करोड़ की लागत से घाटों का कायाकल्प किया जा रहा है। अब तक इस प्रोजेक्ट का लगभग 50 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। अभी चूंकि गंगा नदी में बाढ़ की स्थिति है। जैसे ही नदी का पानी कम होगा तो काम में और गति आएगी।