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    आज के दिन यातनाओं से हुई थी संभाजी की मृत्यु.. मराठा इतिहास में था महत्वपूर्ण मोड़

    आज के ही दिन 11 मार्च को मुगल बादशाह औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र संभाजी को यातनाएं देकर मार डाला था। छत्रपति संभाजी महाराज, मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक थे। वे औरंगजेब के हाथों अपनी क्रूर मृत्यु के लिए जाने जाते हैं। उनकी शहादत भारतीय इतिहास में वीरता और बलिदान का एक दुखद अध्याय है। उन पर हाल ही में छावा फिल्म बनी है, जिसमें विक्की कौशल ने संभाजी का किरदार निभाया है।

    संगमेश्वर में घेरकर बनाया था बंदी

    1689 में औरंगजेब की सेना ने संभाजी महाराज और उनके साथी कवि कलश को संगमेश्वर में घेर लिया था और उन्हें बंदी बना लिया। औरंगजेब ने संभाजी महाराज को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने दृढ़ता से इंकार कर दिया। इसके बाद संभाजी को असहनीय यातनाएं दी गईं। उनके शरीर के अंग काटे गए, उनकी आँखें निकाली गईं और उन्हें बुरी तरह प्रताडि़त किया गया। यह घटना भारतीय इतिहास में क्रूरता और साहस की एक दर्दनाक मिसाल के रूप में दर्ज है।

    धर्म के प्रति रहे अटल

    औरंगजेब की इतनी असहनीय पीड़ा के बावजूद संभाजी महाराज ने हार नहीं मानी और अपने धर्म के प्रति अटल रहे। अंतत: 11 मार्च 1689 को औरंगजेब के आदेश पर उन्हें बेरहमी से मार डाला गया। उनकी मृत्यु ने मराठा साम्राज्य को गहरा आघात पहुंचाया। हालांकि इसने मराठों को औरंगजेब के खिलाफ लडऩे के लिए और अधिक प्रेरित किया।

    वीरता, साहस और धर्म के प्रति अटूट निष्ठा

    छत्रपति संभाजी महाराज की शहादत मराठा इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। उन्होंने अपनी वीरता, साहस और धर्म के प्रति अटूट निष्ठा का परिचय दिया था। उनकी वीरगति ने मराठों को एकजुट किया और उन्हें मुगलों के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरोध खड़ा करने के लिए प्रेरित किया। संभाजी महाराज की कहानी आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती है और अन्याय के खिलाफ खड़े होने का प्रतीक है।

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