सलमान खान की फिल्म सिकंदर आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इसे निर्देशक एआर मुरुगादॉस ने डायरेक्ट किया है। बहरहाल फिल्म की कहानी में नयेपन का अभाव नजर आ रहा है। मुरुगादॉस अपनी फिल्म के किरदारों को गढऩे में कमतर साबित होते दिख रहे हैं। समीक्षकों का मानना है कि कहानी में कई चरित्र ऐसे हैं, जिनका समुचित विकास नहीं किया गया है। कमजोर कहानी और ढीले-वाले स्क्रीन प्ले के चलते फिल्म प्रभाव नहीं जमा पाई। इसमें सलमान की फिल्मों की तरह इस बार वो डायलॉग भी नहीं मिले, जो दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर देते थे। फिल्म में धमाकेदार एक्शन है। तिररू की सिनेमैटोग्राफी में दम दिख रहा है। टॉप एंगल से लिए गए भीड़ के दृश्य ग्रेंजर एड करते हैं। निर्देशक ने इमोशन जोडऩे की कोशिश की है, मगर वह भी दर्शकों को टुकड़ों में मिलता है। फिल्म की लंबाई 2 घंटे 35 मिनट की है, जो लंबी लगती है।
यह है कहानी
कहानी राजकोट की है, जहां की जनता के दिलों में राज करने वाले संजय (सलमान खान) राजकोट के राजा हैं। अपनी जनता की भलाई के लिए वे सब कुछ कुर्बान कर देने का जज्बा रखते हैं। जनता भी उन्हें फरिश्ता मानती है। लोग उन्हें सिकंदर और राजा साहब के नामों से भी पुकारते हैं। साईश्री (रश्मिका मंदाना) संजय की पतिव्रता पत्नी हैं, जो हर समय संजय की सलामती की चिंता करती हैं। मिनिस्टर प्रधान (सत्यराज) के बेटे अर्जुन प्रधान की बेहूदगी फ्लाइट में एक महिला को करती है, मगर तभी उस महिला को संजय आकर बचाता है और अर्जुन को उस महिला के पैरों में गिर कर माफी मांगने पर मजबूर कर देता है। अर्जुन और मिनिस्टर प्रधान इस बेइज्जती का बदला लेने के लिए संजय के पीछे पड़ जाते हैंद्ध मगर अर्जुन की जिंदगी में उस वक्त तूफान आ जाता है, जब साईश्री प्रतिशोध की इस आग में कुर्बान हो जाती है। संजय को पता चलता है कि उसकी पत्नी गर्भवती थी। वह गहरे शोक में डूब जाता है, पर उसे ये बात सहारा देती है कि उसकी पत्नी ने अपने ऑर्गन डोनेट कर दिए थे। मिनिस्टर प्रधान षड्यंत्र रचकर संजय को पंजाब में ब्लास्ट का दोषी साबित करना चाहते हैं। इस बदले की लड़ाई अर्जुन की जान चली जाती है। अब मिनिस्टर प्रधान का उन तीन लोगों को खोज कर खत्म करना चाहता है जिन्हें साईश्री ने अंगदान किया है। यहीं से लड़ाई दिलचस्त मोड़ ले लेती है। आगे की कहानी जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना पड़ेगा।