उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में रामनवमी पर महाराजा सुहेलदेव संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सालार मसूद गाजी की दरगाह की छत पर चढक़र भगवा झंडा फहरा दिया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। प्रयागराज में रामनवमी के अवसर पर 20 से ज्यादा युवा बाइक रैली निकालते हुए सिकंदर इलाके में स्थित सालार मसूद गाजी की दरगाह पर पहुंचे थे। बाइक रैली की अगुवाई मनेंद्र प्रताप सिंह ने की थी। तीन युवक दीवार के सहारे दरगाह की छत पर चढ़ गए और भगवा झंडा लहरा दिया।
मंदिर होने का किया दावा
महाराजा सुहेलदेव सम्मान सुरक्षा मंच का एक लैटर भी सामने आया है, जो जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर को सौंपा गया है। लैटर में दावा किया गया कि सिकंदरा में स्थित गाजी मियां (सैयद सालार गाजी) की मजार अवैध तरीके से बनाई गई है। गाजी सिकंदरा कभी नहीं आया है। वक्फ बोर्ड ने जमीन कब्जाने के इरादे से मजार बनवा दी गई है। दावा किया गया कि यहां पर पहले शिवकंद्रा वाले महादेव, सती बड़े पुरुख का मंदिर था।
मेले पर लगाया था प्रतिबंध
प्रयागराज प्रशासन ने 24 मार्च को इस दरगाह के गेट पर ताला लगा दिया था। मई में लगने वाला सालाना मेला भी रोक दिया गया था। जब विवाद बढ़ा तो पुलिस ने कहा कि उसने कोई ताला नहीं लगाया है। अंदर काम चलने के कारण इसमें सुबह ताला लगाया गया था।
महाराजा सुहेलदेव से हुआ था युद्ध
इतिहासकारों की मानें तो महाराजा सुहेलदेव और सालार मसूद गाजी के बीच 11वीं शताब्दी में बहराइच में एक युद्ध हुआ था। इसका उल्लेख 17वीं शताब्दी के फारसी भाषा के ऐतिहासिक रोमांस मिरात-ए-मसूदी में मिलता है। सालार मसूद गाजी को महमूद गजनवी के भतीजे और सेनापति के रूप में जाना जाता है। उसने मुल्तान और दिल्ली सहित कई क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की थी। सालार मसूद गाजी ने बहराइच पर आक्रमण किया था। महाराजा सुहेलदेव ने विभिन्न स्थानीय राजाओं और समुदायों को एकजुट करके एक शक्तिशाली गठबंधन बनाया। चित्तौरा झील के किनारे हुए इस युद्ध में सुहेलदेव की सेना ने सालार मसूद गाजी की सेना को निर्णायक रूप से पराजित किया। सुहेलदेव के हाथों सालार मसूद गाजी की मृत्यु हो गई थी। हालांकि कुछ लोग उसे एक पीर मानते हैं।