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    शी जिनपिंग से मिले एस. जयशंकर, पीएम मोदी का किया जिक्र

    विदेश मंत्री एस. जयशंकर हाल ही में चीन के दौरे पर थे, जहां उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात की। इस महत्वपूर्ण मुलाकात के दौरान, जयशंकर ने न केवल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भी चीनी राष्ट्रपति को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में इसकी जानकारी साझा की।

    एस. जयशंकर द्वारा पीएम मोदी का जिक्र करने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण थे:

    1. राजनयिक शिष्टाचार: यह एक स्थापित राजनयिक प्रोटोकॉल है कि जब कोई उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल किसी देश का दौरा करता है, तो वे अपने देश के राष्ट्राध्यक्ष और सरकार के प्रमुख की ओर से शुभकामनाएं व्यक्त करते हैं। ऐसे में जयशंकर ने राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी दोनों का उल्लेख किया।
    2. द्विपक्षीय संबंधों पर मार्गदर्शन: जयशंकर ने शी जिनपिंग से कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति शी को दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के बारे में बताया है, और इस मामले में “हमारे नेताओं के मार्गदर्शन को महत्व दिया”। यह दर्शाता है कि भारत-चीन संबंधों की दिशा और नीति निर्धारण में प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका केंद्रीय है, और उनके दृष्टिकोण को चीन तक पहुंचाना आवश्यक था।
    3. कजान मुलाकात का संदर्भ: जयशंकर ने विशेष रूप से 2024 में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात का जिक्र किया। उन्होंने याद दिलाया कि उस मुलाकात के बाद रिश्तों में जो “सकारात्मक मोड़” आया था, उसे बरकरार रखना दोनों देशों की जिम्मेदारी है। यह दर्शाता है कि भारत संबंधों में स्थिरता और सकारात्मकता चाहता है, और पीएम मोदी की पिछली बातचीत को एक आधार के रूप में प्रस्तुत किया गया।
    4. उच्च-स्तरीय जुड़ाव का संकेत: पीएम मोदी का जिक्र कर जयशंकर ने चीन को यह संदेश दिया कि भारत अपने संबंधों को गंभीरता से लेता है और उच्चतम राजनीतिक स्तर पर जुड़ाव बनाए रखना चाहता है। यह तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद संवाद और कूटनीति के महत्व पर जोर देता है।

    कुल मिलाकर, एस. जयशंकर ने पीएम मोदी का जिक्र कर न केवल राजनयिक शिष्टाचार का पालन किया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि भारत-चीन संबंधों में प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण और मार्गदर्शन कितना महत्वपूर्ण है, और भारत इन संबंधों में आगे की राह के लिए उच्च-स्तरीय संवाद को प्राथमिकता देता है।

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