रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आ रहे हैं। इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। दोनों नेताओं के बीच होने वाली यह बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण है, विशेषकर रक्षा और प्रौद्योगिकी सहयोग के क्षेत्र में।
एजेंडे में शीर्ष पर रक्षा समझौते
पुतिन की यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में ‘रणनीतिक साझेदारी’ को और मजबूत करने पर केंद्रित होगी। एजेंडे में सबसे ऊपर कई बड़े रक्षा सौदे और दोनों देशों के बीच भविष्य के सैन्य-तकनीकी सहयोग शामिल हैं।
- S-400 डील: इस यात्रा का मुख्य आकर्षण S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी को लेकर प्रगति पर चर्चा करना है। भारत ने रूस से यह अत्याधुनिक प्रणाली खरीदने के लिए 5.43 बिलियन डॉलर का सौदा किया था। अमेरिका के CAATSA (काउंटरिंग अमेरिका’ज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट) प्रतिबंधों की चेतावनी के बावजूद भारत इस डील पर आगे बढ़ा है।
- AK-203 राइफल उत्पादन: दोनों देशों के बीच उत्तर प्रदेश के अमेठी में AK-203 असॉल्ट राइफलों के उत्पादन को लेकर अंतिम समझौते पर मुहर लग सकती है। यह ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत एक बड़ा रक्षा समझौता होगा।
रणनीतिक और आर्थिक सहयोग
रक्षा सौदों के अलावा, शिखर सम्मेलन में कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी बात होगी: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पैदा हुई क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर दोनों नेताओं के बीच गहन चर्चा होने की उम्मीद है। तेल और गैस क्षेत्रों में सहयोग को और बढ़ाने के लिए नए समझौतों पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लक्ष्य पर विचार करेंगे।
यात्रा का महत्व
कोविड-19 महामारी के कारण लगी पाबंदियों के बाद पुतिन की यह भारत यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को एक नई गति देगी। रूस लंबे समय से भारत का सबसे बड़ा और भरोसेमंद रक्षा भागीदार रहा है, और यह बैठक दोनों देशों के बीच पारंपरिक दोस्ती और सहयोग को फिर से स्थापित करेगी। इस दौरान कई सरकारी समझौतों और वाणिज्यिक दस्तावेजों पर भी हस्ताक्षर होने की संभावना है।


