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    रूस का यूक्रेन पर ताबड़तोड़ अटैक, 650 ड्रोन और 36 मिसाइलें दागीं

    रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष एक बार फिर बेहद हिंसक और गंभीर मोड़ पर पहुंच गया है। 27 दिसंबर 2025 को रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव सहित कई प्रमुख शहरों पर मिसाइलों और ड्रोन से भीषण हमला किया है। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की के बीच एक महत्वपूर्ण शांति वार्ता होने वाली है।

    हमले का विवरण और नुकसान

    • मिसाइल और ड्रोन की बौछार: रूसी सेना ने कीव, ओडेसा और अन्य 13 क्षेत्रों को निशाना बनाते हुए 650 से अधिक ड्रोन और लगभग 36 मिसाइलें दागीं।
    • बिजली संकट: हमलों का मुख्य निशाना यूक्रेन का एनर्जी ग्रिड (Energy Grid) रहा। इसके कारण कई शहरों में बिजली पूरी तरह गुल हो गई है। कड़ाके की ठंड और शून्य से नीचे के तापमान के बीच लाखों लोग बिना बिजली और हीटिंग के रहने को मजबूर हैं।
    • हताहत: रिपोर्टों के अनुसार, इन हमलों में कई नागरिक मारे गए हैं, जिनमें एक चार साल का बच्चा भी शामिल है। कीव और ओडेसा में आवासीय इमारतों को भी भारी नुकसान पहुंचा है।

    ट्रंप-जेलेंस्की बैठक से पहले तनाव

    ​यह हमला रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि:

    1. शांति वार्ता में बाधा: डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की की मुलाकात 28 दिसंबर 2025 को फ्लोरिडा (Mar-a-Lago) में होनी तय है। विशेषज्ञ इसे रूस की ओर से दबाव बनाने की रणनीति मान रहे हैं।
    2. 20-सूत्रीय शांति योजना: जेलेंस्की एक नए ’20-सूत्रीय शांति प्रस्ताव’ पर चर्चा करने वाले हैं, जिसे लेकर ट्रंप ने कहा है कि उनकी मंजूरी के बिना कुछ भी तय नहीं होगा।
    3. सर्दी का हथियार (Weaponizing Winter): यूक्रेनी अधिकारियों का आरोप है कि रूस जानबूझकर बुनियादी ढांचे को तबाह कर रहा है ताकि सर्दी के मौसम में नागरिकों की मुश्किलें बढ़ाकर कीव को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया जा सके।

    अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

    ​जेलेंस्की ने इस हमले को “रूसी प्राथमिकताओं का स्पष्ट संकेत” बताया है। उन्होंने कहा कि जब दुनिया शांति की बात कर रही है, तब पुतिन निर्दोष लोगों की हत्याएं जारी रखने पर आमादा हैं। वहीं, अमेरिकी प्रशासन इस युद्ध को समाप्त करने के लिए राजनयिक प्रयासों में जुटा है, लेकिन जमीन पर हालात भयावह बने हुए हैं।

    ​इस हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी शांति समझौते से पहले रूस अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन कर बातचीत की मेज पर ऊपरी हाथ (Upper Hand) रखना चाहता है।

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