भारतीय रुपये में गिरावट का दौर जारी है और यह एक बार फिर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। सोमवार (15 दिसंबर 2025) को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होकर 90.6475 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया।
इससे पहले शुक्रवार (12 दिसंबर 2025) को भी रुपया 90.55 के अपने सर्वकालिक निचले स्तर को पार कर गया था। इस साल 2025 में अब तक भारतीय करेंसी में डॉलर के मुकाबले 5.5% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है।
गिरावट के मुख्य कारण
रुपये में इस लगातार कमजोरी के पीछे मुख्य रूप से निम्नलिखित कारण हैं:
- विदेशी पूंजी की निकासी: विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय इक्विटी और बॉन्ड बाजारों से लगातार पैसे की बिकवाली हो रही है। इस साल अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय स्टॉक में $18 बिलियन से अधिक की निकासी की है।
- भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में गतिरोध: अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौते को लेकर जारी अनिश्चितता और गतिरोध ने भी भारतीय मुद्रा पर दबाव बनाया है।
- आयातकों की ओर से डॉलर की मांग: आयातकों द्वारा डॉलर की आक्रामक खरीदारी से भी रुपये की मांग पर असर पड़ा है।
- डॉलर की मजबूती: छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर इंडेक्स भी ऊंचे स्तर पर कारोबार कर रहा है।
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि जब तक विदेशी निवेश का प्रवाह सुधरता नहीं और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिलता, तब तक रुपये पर दबाव बना रह सकता है। वहीं, आरबीआई भी रुपये में अत्यधिक गिरावट को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है।


