राजस्थान में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल पर रिव्यू कमेटी गठित होने पर बवाल मच गया है। कांग्रेस नेता व पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस पर सवाल खड़े किए हैं और इसे स्कूल बंद करने की कवायद बताया है। वहीं सरकार की ओर से सफाई आई है कि रिव्यू का मतलब सुधर करना है, बंद करना नहीं।
अंग्रेजी पढऩे वाला कोई नहीं
राजस्थान के उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि हमने एक समीक्षा कमेटी बनाई है और समीक्षा का मतलब होता है कि समीक्षा करके उसमें कैसे सुधार किया जाए, कहां जरूरत है, कहां जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे क्षेत्र से कई स्कूलों की मांग है कि उनके यहां अंग्रेजी पढऩे वाला कोई नहीं है और उसको हटाओ। उन्होंने कहा कि सारी व्यवस्थाओं की समीक्षा करने के बाद ये कमेटी हमारे बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जो अभिभावक चाहते हैं, उसके हिसाब से काम करेगी।
जमाना अब भी अंग्रेजी का ही : गहलोत
राजस्थान में सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल पर रिव्यू कमेटी गठित होने पर कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा कि स्कूलों को बंद करने की जो सोच है वो अपने आप में समझ के परे है। पहला प्रयोग राजस्थान ने किया था, जिसकी प्रशंसा उस समय सबने की थी। प्राइवेट स्कूल में 40-50 हजार के आसपास फीस होती है। इन सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूलों में छोटे बच्चे अंग्रेजी में बात करते हैं। मुख्यमंत्री के सलाहकार क्या सलाह दे रहे हैं, ये समझ के परे है। गरीब के बच्चे कहां जाएंगे? उन्होंने कहा कि गांव के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाना बहुत बड़ा फैसला था। जमाना अब अंग्रेजी का भी है। अब एआई भी आ गई जिसके साथ बच्चे मुकाबला कर सकें। ये सोच कर ये स्कीम लाई गई और मुझे दुख है कि इस पर समीक्षा की बात प्रारंभ हुई है।