राष्ट्रीय स्वयंसेक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा से पहले बड़ी अपील की है। उन्होंने कहा कि हम सभी ने 22 जनवरी के उत्सव के साथ भारत और पूरे विश्व के पुनर्निर्माण को पूर्तता में लाने का संकल्प लिया है। इस भावना को अंतर्मन में स्थापित करते हुए अग्रसर हों। उन्होंने कड़वाहट को मिटाने, विवाद और संघ्र्ष को समाप्त करने का आह्वान किया। पक्ष और विपक्ष में जो विवाद पैदा हुआ है, उसे खत्म किया जाना चाहिए। जो कड़वाहट पैदा हुई है, वह भी खत्म हानी चाहिए। प्रबुद्ध लोगों को देखना होगा कि विवाद पूरी तरह खत्म हो।
विदेशी आक्रांताओं का किया जिक्र
मोहन भागवत ने कहा कि अयोध्या की पहचान ऐसी हो जहां कोई युद्ध नहीं है, यह संघर्ष से मुक्त जगह है। उन्होंने विदेशी आक्रांताओं का जिक्र करते हुए कहा कि सिकंदर, मुगल के आक्रमण से पूर्ण विनाश और अलगाव ही हुआ। इन्होंने हतोत्साहित करते हुए धार्मिक स्थलों को नष्ट किया। विदेशी आक्रमणकारियों ने भारत में मंदिरों को भी नष्ट किया। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का विध्वंस भी इसी मानसिकता से किया गया। वही भारतीय ाशासकों ने कभ्भी किसी पर आक्रमण नहीं किया। उन्होंने अयोध्या के लिए हुए अनेक युद्ध, संघर्ष और बलिदान को भी याद किया।