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    भारत को दो बड़े आईसीसी टूर्नामेंट जिताए; बदले में रोहित से छिन गई कप्तानी

    हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज के लिए भारतीय टीम के ऐलान ने क्रिकेट जगत में खलबली मचा दी। टीम में रोहित शर्मा का नाम तो था, लेकिन उन्हें कप्तानी से हटाकर यह जिम्मेदारी शुभमन गिल को सौंप दी गई। इस फैसले ने फैंस और क्रिकेट पंडितों को हैरान कर दिया, क्योंकि रोहित शर्मा की कप्तानी में भारत ने हाल ही में दो बड़े आईसीसी टूर्नामेंट जीते थे।

    चयन समिति का तर्क और सवाल

    टीम की घोषणा के बाद, भारतीय टीम के मुख्य चयनकर्ता अजित अगरकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस ‘अन्याय’ पर सफाई दी। अगरकर ने कहा कि यह फैसला शुभमन गिल को 2027 वनडे वर्ल्ड कप के लिए बतौर कप्तान तैयार करने के उद्देश्य से लिया गया है, जिसके लिए उन्हें पर्याप्त समय और अनुभव देना जरूरी है।

    अगरकर के तर्क में दम हो सकता है, लेकिन सवाल अभी भी बना हुआ है: क्या उस कप्तान को हटाना सही है, जिसने कुछ ही महीने पहले भारत को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का चैंपियन बनाया?

    आईसीसी ट्रॉफी: देश के लिए लकी, हिटमैन के लिए पनौती?

    लेख में यह चौंकाने वाला विश्लेषण किया गया है कि आईसीसी ट्रॉफी टीम इंडिया के लिए भले ही ‘लकी’ साबित हुई हो, लेकिन रोहित शर्मा के निजी कप्तानी करियर के लिए यह एक तरह की ‘पनौती’ बन गई है।

    11 साल के आईसीसी ट्रॉफी सूखे को खत्म करने के बाद, रोहित की कप्तानी में भारत ने टी20 वर्ल्ड कप 2024 और चैंपियंस ट्रॉफी 2025 जीती। देश ने जश्न मनाया, लेकिन इन जीतों के तुरंत बाद रोहित शर्मा के साथ कुछ अजीब घटनाएँ हुईं:

    1. टी20 वर्ल्ड कप 2024 जीत के बाद: रोहित शर्मा ने टी20 फॉर्मेट से संन्यास ले लिया। हालाँकि यह उनका निजी फैसला था, पर चैंपियन बनने के बाद कप्तान का अचानक संन्यास लेना कई सवाल खड़े करता है।
    2. चैंपियंस ट्रॉफी 2025 जीत के बाद: रोहित खुद को 2027 वनडे वर्ल्ड कप के लिए तैयार कर रहे थे, लेकिन चयनकर्ताओं ने उन्हें वनडे टीम की कप्तानी से ही हटा दिया। चैंपियंस ट्रॉफी भारत तो जीत गया, लेकिन रोहित अपनी कप्तानी हार गए।

    लेखक के अनुसार, यह कहना गलत नहीं होगा कि रोहित शर्मा के लिए आईसीसी ट्रॉफी जीतना उनके कप्तानी करियर के लिए एक नकारात्मक मोड़ लेकर आया। इससे पहले कपिल देव, एमएस धोनी और सौरव गांगुली जैसे कप्तानों ने भी भारत को आईसीसी ट्रॉफी दिलाई, लेकिन उनके साथ ऐसा अन्यायपूर्ण व्यवहार कभी नहीं हुआ।

    इस पूरे घटनाक्रम ने भारतीय क्रिकेट में कप्तानी और चयन की नीतियों पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है।

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