उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने वाले महाकुंभ से पहले श्री नाग वासुकी मंदिर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण कार्य जारी है। प्रयागराज विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अमित पाल ने कहा कि भगवान श्री नाग वासुकी मंदिर के कॉरिडोर के निर्माण का क्रियान्वयन प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा कराया गया है। यह पर्यटन विभाग का प्रोजेक्ट है। इसके अंतर्गत लगभग 5 करोड़ की लागत से प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा रेड सैंड स्टोन की फ्लोरिंग के साथ रेड सैंड स्टोन की क्लैडिंग का कार्य किया गया है। जो भी श्रद्धालु यहां आ रहे हैं, उनकी सुविधा और सुलभ दर्शन के लिए वहां पार्किंग, शेड की सुविधा की गई है।
यह है पौराणिक महत्व
श्री नागराज वासुकी मंदिर में काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए श्रद्धालु आते हैं। सबसे पहले प्रयाग के संगम में स्नान कर फिर वासुकी नाग मंदिर में मटर, चना, फूल, माला और दूध के साथ ले जाकर नाग के दर्शन करके उन्हें उक्त सामग्री अर्पित करके उनसे काल सर्प दोष दूर करने की प्रार्थना की जाती है। पुराणों में वर्णित है कि देवी गंगा स्वर्ग से गिरीं तो वह पृथ्वी लोक से पाताल लोक में चली गईं। वहां उनकी धारा नागराज वासुकी के फन पर गिरी। इससे इस स्थान पर भोगवती तीर्थ का निर्माण हुआ। इसके बाद नागराज वासुकी और शेष भगवान पाताल लोक से चल कर वेणीमाधव का दर्शन करने प्रयाग गए। कहा जाता है जब वह प्रयाग गए तो भोगवती तीर्थ भी प्रयाग आ गया। इस स्थान को नागराज वासुकी के साथ भोगवती तीर्थ का वास भी माना जाता है। यहां मंदिर से पूर्व की ओर गंगा के पश्चिमी हिस्से में भोगवती तीर्थ है।