हिमाचल प्रदेश में इस मॉनसून सीजन ने भारी तबाही मचाई है, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। 20 जून को मॉनसून की शुरुआत के बाद से, राज्य में भारी बारिश, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ ने अब तक 95 लोगों की जान ले ली है। राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र (SEOC) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है, और हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
मंडी जिला सर्वाधिक प्रभावित
इस मॉनसूनी आफत का सबसे ज्यादा खामियाजा मंडी जिले को भुगतना पड़ा है। मंडी में भूस्खलन, बादल फटने और अचानक आई बाढ़ की कई घटनाएं हुई हैं, जिससे बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान हुआ है और कई लोगों की जानें गई हैं। अकेले मंडी में 15 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। कई गांवों का संपर्क टूट गया है और राहत व बचाव कार्य जारी हैं।
चंडीगढ़-मनाली हाईवे अभी भी बंद
राज्य में भूस्खलन के कारण महत्वपूर्ण सड़क संपर्क बाधित हुए हैं। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे (NH-21), जो मनाली और कुल्लू को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है, मंडी शहर के पास चार मील क्षेत्र में भारी भूस्खलन के कारण पिछले 21 घंटों से बंद पड़ा है। हाईवे पर बड़े-बड़े पत्थर और मलबा गिरने से दोनों ओर गाड़ियों की लंबी कतारें लग गई हैं, जिससे हजारों पर्यटक और स्थानीय लोग फंसे हुए हैं। मलबा हटाने का काम जारी है, लेकिन लगातार बारिश और पत्थरों के गिरने के कारण इसमें बाधा आ रही है।
व्यापक नुकसान और बचाव कार्य
राज्यभर में 240 से अधिक सड़कें बंद हैं, जिनमें से अधिकांश मंडी जिले में हैं। बिजली आपूर्ति और पेयजल योजनाएं भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। सैकड़ों घर और गौशालाएं क्षतिग्रस्त या पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं, और कृषि भूमि को भी भारी नुकसान पहुंचा है। राज्य सरकार, एनडीआरएफ (NDRF), एसडीआरएफ (SDRF) और स्थानीय प्रशासन की टीमें प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। सेना और आईटीबीपी भी मदद कर रही हैं। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे स्थिति और बिगड़ने की आशंका है। लोगों को पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा न करने और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी गई है।