पाकिस्तान के दुस्साहस के बाद भारतीय सेना ने रहीमयार खान, चकलाला (अब नूर खान एयरबेस), रावलपिंडी और शोरकोट में पाकिस्तानी एयरबेस के तबाह होने की खबरें आई हैं। इन एयरबेस का पाकिस्तान की सैन्य क्षमता के लिए महत्वपूर्ण स्थान है। रावलपिंडी तो पाकिस्तान और सेना की रीढ़ की हड्डी कहा जाता है। इन एयरबेस का तबाह होना पाकिस्तान की वायुसेना की परिचालन क्षमता और समग्र सैन्य तैयारियों के लिए एक महत्वपूर्ण झटका माना जा रहा है। इन ठिकानों के नुकसान से पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा और जवाबी कार्रवाई की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
जानें एयरबेस का क्या है महत्व
- रहीमयार खान : यह शहर दक्षिणी पंजाब प्रांत में स्थित है और यहां एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (शेख जायद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा) है। हालांकि यह मुख्य रूप से नागरिक हवाई अड्डा है, लेकिन इसकी अवस्थिति इसे सैन्य लॉजिस्टिक्स और परिवहन के लिए महत्वपूर्ण बना सकती है। कुछ रिपोट्र्स में इस क्षेत्र के पास ड्रोन गिरने की भी खबरें हैं।
- चकलाला एयरबेस (नूर खान एयरबेस) : रावलपिंडी के पास स्थित यह एयरबेस पाकिस्तान वायुसेना (पीएएफ) का एक महत्वपूर्ण ठिकाना है। यह रणनीतिक परिवहन, वीआईपी मूवमेंट और वायुसेना के संचालन के लिए एक प्रमुख केंद्र है। पहले यहां बेनजीर भुट्टो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी स्थित था। इसकी राजधानी इस्लामाबाद से निकटता इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
- रावलपिंडी : यह पाकिस्तान का एक महत्वपूर्ण सैन्य शहर है और यहां सेना का मुख्यालय (जनरल हेडक्वार्टर-जीएचक्यू) स्थित है। चकलाला एयरबेस इसी शहर के बाहरी इलाके में है, जो सैन्य गतिविधियों और लॉजिस्टिक्स के समन्वय के लिए इसे एक केंद्रीय स्थान बनाता है।
- शोरकोट (रफीकी एयरबेस) : पंजाब के झंग जिले के पास स्थित यह एयरबेस पीएएफ का एक फ्रंटलाइन फाइटर बेस है। इसका नाम 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के एक हीरो स्क्वाड्रन लीडर सरफराज अहमद रफीकी के नाम पर रखा गया है। यहां आधुनिक लड़ाकू विमान तैनात हैं और यह पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर तेजी से तैनाती के लिए महत्वपूर्ण है। इसकी लंबी हवाई पट्टी आपातकालीन लैंडिंग के लिए भी इस्तेमाल की जा सकती है।