बहनों और भाइयो.. आप सुन रहे हैं बिनाका गीतमाला..। ये बुलंद आवाज थी अमीन सयानी की। आजादी के बाद ये आवाज रेडियो की पहचान बन गई थी। भारत के मशहूर रेडियो संचालक और अनाउंसर अमीन सयानी अब नहीं रहे। जाने माने रेडियो उद्घोषक अमीन सयानी का मंगलवार को दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे। उन्हें रेडियो सीलोन और बिनाका गीतमाला के प्रस्तोता के तौर पर देशभर में पहचान मिली थी और लोग उनकी आवाज सुनने के लिए रेडियो से चिपक जाया करते थे।
एशिया में भी ख्याती पाई
अमीन सयानी ने भारत में ही नहीं बल्कि एशिया में भी ख्याती पाई थी। उनका मशहूर कार्यक्रम बिनाका गीतमाला रेडियो सिलोन से प्रसारित होता था। उनकी लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि उनकी नकल कर आज भी कई रेडियो संचालक खुद को संवारने में कामयाब हुए हैं। इनके बात करने का विशेष अंदाज बहनों और भाइयो की काफ़ी सराहना हुई। उन्होंने 54,000 रेडियो कार्यक्रम किए और 19,000 स्पाट्स या जिंगल्स किए। इनका रेडियो का सफऱ 1951 में शुरू हुआ था, जो लगातार जारी रहा। उनका जन्म 21 दिसम्बर 1932 को मुंबई में हुआ था।
श्रोताओं को बिनाका गीतमाला का रहता था इंतजार
उस दौर में श्रोताओं को बिनाका गीतमाला का बेहद इंतजार रहता था। रेडियो पर फिल्मी गीतों के कई कार्यक्रम आते थे, लेकिन अमीन सयानी के गीतमाला कार्यक्रम जैसी प्रस्तुति किसी और रेडियो कार्यक्रम की नहीं होती थी। उनका बुलंद अंदाज एकदम अलग था और सबसे खास थी। गीतों को माला में पिरोने का उनका तरीका कुछ और था। लोग गीत तो सुनते ही थे, उनकी आवाज और प्रस्तुति के दीवाने भी थे। उस दौर के तमाम गायकों, गीतकारों, संगीतकारों से साक्षात्कार लेने का उनका अंदाज भी रेडियो के श्रोताओं को बेहद पसंद आता था।