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    5वीं बार पुतिन ने ली राष्ट्रपति की शपथ.. बनाएंगे ये नया रिकॉर्ड

    रूस के इतिहास में आज एक नया अध्याय जुड़ गया। व्लादिमीर पुतिन ने ग्रैंड क्रेमलिन पैलेस के सेंट एंड्रयू हॉल में रूस के राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। यह पांचवीं बार है जब पुतिन रूस के राष्ट्रपति चुने गए हैं। वे जब अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में होंगे, तो जोसेफ स्टालिन को पीछे छोड़ते हुए सबसे ज्यादा साल तक रूस पर राज करने वाले राष्ट्रपति बन जाएंगे। पुतिन का 2036 तक राष्ट्रपति बने रहना लगभग तय है। पुतिन ने ऐसे कई कदम उठाए हैं, जो रूस पर उनकी पकड़ बनाए रखने में अहम साबित हुए।

    पश्चिमी देशों ने किया बहिष्कार

    शपथ के बाद पुतिन मौजूद उच्च अधिकारियों व राजनेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हम और मजबूत होंगे। हम उन देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करेंगे, जो हमें दुश्मन समझते हैं। पुतिन ने कहा कि मैं जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश करूंगा। रूस में इसी साल 15-17 मार्च को हुए चुनाव में पुतिन को 88 प्रतिशत वोट मिले थे। उनके विरोधी निकोले खारितोनोव को महज 4 प्रतिशत वोट ही मिल पाए थे। रूस में पुतिन के शपथ ग्रहण समारोह का अमेरिका, ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों ने बहिष्कार करने की घोषणा की है। पुतिन पहली बार 2000 में राष्ट्रपति बने थे। इसके बाद से 2004, 2012 और 2018 में भी वे राष्ट्रपति चुने जा चुके हैं।

    भारत के लिए बढ़ेंगे अवसर

    पुतिन के शपथ ग्रहण से उम्मीद है कि भारत के साथ रूस के रिश्ते प्रगाढ़ होंगे। पुतिन पीएम मोदी के अच्छे मित्रों में गिने जाते हैं। यूक्रेन पर आक्रमण के समय भारत ने तटस्थ रहते हुए रूस से संबंध नहीं तोड़े थे, बल्कि व्यापारिक रिश्तों को नई ऊंचाई प्रदान की थी और कच्चे तेल के निर्यात में उल्लखेनीय वृद्धि हासिल की थी। इससे भारत को काफी फायदा हुआ था और कई देशों को कच्चे तेल की सप्लाई कर भारत ने मुनाफा हासिल किया था।

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