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    Pushpa 2 : छा गए अल्लू अर्जुन.. जानें फिल्म की कहानी और रिव्यू

    अल्लू अर्जुन की जिस फिल्म को दर्शकों को 3 साल से इंतजार था, आखिर वह रिलीज हो ही गई। 5 दिसंबर को जैसे ही फिल्म पुष्पा 2 : द रूल थिएटर में रिलीज हुई तो दर्शक इसे देखने के लिए टूट पड़े। फिल्म में रश्मिका मंदाना उनकी पत्नी का किरदार निभा रही हैं। फिल्म दोनों की शादी से शुरू होती है और फिर एसपी से टकराव और चंदन की तस्करी पर पुष्पा के राज की दास्तान शुरू हो जाती है। 3 साल पहले रिलीज हुई ‘पुष्पा द राइज’ ने अपनी सफलता से बॉलीवुड को बहुत बड़ा सबक सिखाया था। इस फिल्म ने हॉलीवुड ट्रेंड फॉलो करने वाली हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को बताया था कि वो आम लोगों के लिए फिल्में बनाना भूल गए हैं। पुष्पा द राइज ने दर्शकों को उस एंग्री यंगमैन हीरो से मिलाया, जो हिंदी फिल्मों से गुम हो गए थे। अब पुष्पा द राइज पसंद जिन्होंने देखी है, उसका पुष्पा द रूल देखना तो बनता ही है।

    पुष्पा 2 है वाइल्ड फायर

    अगर अल्लू अर्जुन की पुष्पा द राइज फायर थी, तो पुष्पा द रूल वाइल्डफायर है। रश्मिका मंदाना अच्छी दिखी हैं, लेकिन पूरी फिल्म में अल्लू अर्जुन ही छाए रहे हैं। श्रीवल्ली के किरदार में रश्मिका मंदाना ने जान डाल दी है। फिल्म में महिला का सम्मान है और इस फिल्म के साथ अल्लू अर्जुन ने इंडस्ट्री में एक नए ट्रेंड की शुरुआत की है।

    ऐसी है कहानी

    लाल चंदन की तस्करी करने वाले पुष्पराज (अल्लू अर्जुन) की कहानी आगे बढ़ती है। पुष्पा अब वो मजदूर नहीं रहा, बल्कि वो बड़ा आदमी बन गया है। आज भी श्रीवल्ली (रश्मिका मंदाना) उसे अपनी उंगलियों पर नचाती है। वहीं पुष्पा के एक इशारे पर राज्य का सीएम भी बदल जाता है। लेकिन उसके इस बिजनेस को नेस्नाबूद करने के लिए एसपी भंवर सिंह शेखावत (फहद फासिल) लगा हुआ है। पुष्पा आगे-आगे और शेखावत उसके पीछे। पुष्पा की जिंदगी में और कई मोड़ आए, कई दुश्मन बने? आखिर फिल्म की कहानी का क्लाईमेक्स क्या है, इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए।

    काली मां के अवतार में भी क्रांतिकारी सोच

    काली मां के अवतार में दिखने के पीछे भी एक एक क्रांतिकारी सोच है। साड़ी पहनकर अल्लू अर्जुन ने जो परफॉर्मेंस दी है, उसे ये फिल्म देखने वाले लंबे समय तक भूल नहीं पाएंगे। फिल्म में हिंसा है. लेकिन संदीप रेड्डी वांगा और रणबीर कपूर के ‘एनिमल’ की तरह बिना सोचे-समझे की जाने वाली हिंसा इसमें नहीं है। ‘पुष्पा’ 2 में वायलेंस तो है. लेकिन ये वायलेंस अपने आपको जस्टिफाई करता है। 3 घंटे 20 मिनट की ये फिल्म पूरी तरह से आपको बांधे रखेगी और एक पल के लिए भी आप बोर महसूस नहीं कर पाएंगे।

    https://twitter.com/SivaHarsha_23/status/1864445950779117977
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