कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उप्र के रायबरेली और केरल के वायनाड से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। दोनों सीटों से भारी मतों से जीतने के बाद राहुल गांधी को एक सीट छोडऩी थी। आखिरकार उन्होंने निश्चय किया कि वे वायनाड सीट छोड़ेंगे। हालांकि यहां से कांग्रेस ने राहुल की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को वायनाड से उपचुनाव में मैदान में उतारने का निर्णय लिया है। प्रियंका के पहली बार चुनाव लडऩे से कांग्रेस खुश है तो भाजपा को मिर्ची लगी है।
5 लाख वोटों से जीतेंगी
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के रायबरेली लोकसभा सीट बरकरार रखने और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के वायनाड से उपचुनाव लडऩे पर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि मैं कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व और राहुल गांधी का धन्यवाद करना चाहता हूं। उन्होंने ये सही राजनीतिक निर्णय लिया है। इससे दोनों परिवारों का प्रतिनिधित्व होगा। उन्होंने उत्तर प्रदेश के उस जनादेश का सम्मान भी कर दिया जिसने 80 में से 43 सीटें इंडिया गठबंधन को दी थीं। प्रियंका गांधी वायनाड से 5 लाख वोटों से जीतकर आएंगी।
भाजपा ने कहा-खुद वायनाड से सांसद रहते
भाजपा नेता आर.पी. सिंह ने कहा कि जिस वायनाड ने उन्हें अमेठी से हारने के बाद बचाया, जिस वायनाड ने उन्हें सदन भेजा, उस वायनाड को वे छोड़ रहे हैं। वायनाड सीट के बाद रायबरेली की घोषणा तब तक नहीं की गई, जब तक रायबरेली का चुनाव नहीं हो गया। उनके मन में यदि अपनी बहन के प्रति इतना ही प्यार था तो वे रायबरेली की सीट प्रियंका को दे देते, वायनाड से खुद सांसद रहते।
पहले चुनाव में ही हारेंगी
भाजपा के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी जानते हैं कि यदि उन्होंने रायबरेली से इस्तीफा दिया तो दोबारा जीतने की स्थिति नहीं हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश से डर गए। प्रियंका गांधी कहती थीं कि लडक़ी हूं, लड़ सकती हूं, अगर लड़ सकती हैं तो वो आएं, उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ें। ये दोनों भाई-बहन केवल अपनत्व का झांसा देते हैं। वायनाड की जनता भी जाग्रत होगी और प्रियंका गांधी के जीवन का जो पहला चुनाव होगा वो हार के साथ शुरू होगा।