पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के एक हालिया बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की भारी किरकिरी करा दी है। जरदारी ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि इस साल मई में भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के दौरान पाकिस्तानी सेना इतनी दहशत में थी कि उसे बंकरों में छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा तह
जरदारी का बड़ा कबूलनामा
राष्ट्रपति जरदारी ने एक कार्यक्रम के दौरान बताया कि जब भारतीय कार्रवाई शुरू हुई, तो उनके पास एक सैन्य प्रतिनिधि आया और कहा, “सर, जंग शुरू हो गई है, अब बंकर में चलें।” जरदारी ने खुलासा किया कि न केवल राजनेता बल्कि सेना के आला अधिकारी भी अपनी जान बचाने के लिए बंकरों में शरण लेने की सलाह दे रहे थे। यह पहली बार है जब पाकिस्तान के किसी शीर्ष संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी सेना की लाचारी स्वीकार की है।
क्या था ‘ऑपरेशन सिंदूर’?
- पृष्ठभूमि: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक कायराना आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई थी।
- भारतीय कार्रवाई: इस हमले के जवाब में भारतीय वायुसेना और थल सेना ने 6-7 मई की रात को पाकिस्तान और PoK में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक स्ट्राइक की।
- असर: भारत की इस “जीरो टॉलरेंस” नीति और घातक प्रहार से पाकिस्तान की रक्षा प्रणाली पूरी तरह चरमरा गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, उस दौरान पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर भी कई दिनों तक सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए थे।
पाकिस्तान की किरकिरी और गीदड़भभकी
एक ओर जरदारी ने बंकरों में छिपने की बात कबूल की, तो दूसरी ओर उन्होंने भारत को ‘गीदड़भभकी’ देने की भी कोशिश की। उन्होंने कहा कि “हम गोलियां खाएंगे भी और मारेंगे भी,” लेकिन जानकारों का मानना है कि उनकी यह बयानबाजी केवल अपनी घरेलू छवि बचाने की कोशिश है।
इस बयान से पाकिस्तान के उन दावों की पोल खुल गई है जिनमें वह कहता रहा है कि उसने भारत को बराबरी की टक्कर दी थी। अब यह स्पष्ट है कि ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल आतंकियों का सफाया किया, बल्कि पाकिस्तानी नेतृत्व के मनोबल को भी तोड़ दिया था।


