वाराणसी भारतीय रेलवे के इतिहास में एक नया अध्याय लिख रहा है, जहां रेलवे पटरियों के बीच पोर्टेबल सौर पैनल प्रणाली स्थापित की गई है। इस अनूठी पहल के साथ, वाराणसी भारत का पहला ऐसा शहर बन गया है जहां रेलवे पटरियों के बीच सौर पैनल लगाए गए हैं।
बनारस रेल इंजन कारखाना (BLW) के जनसंपर्क अधिकारी, राजेश कुमार ने इस प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, “भारत में ये पहला ऐसा अनूठा प्रयोग था। बनारस रेल इंजन कारखाना परिसर में 5.8 किलोमीटर का यार्ड ट्रैक है जहां हमने सौर पैनल लगाकर इसका सदुपयोग किया है।”
उन्होंने बताया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य रेलवे की बिजली की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करना है। ये पोर्टेबल सौर पैनल पटरियों के बीच की खाली जगह का इस्तेमाल करते हैं, जो आमतौर पर खाली रहती है। इस तरह, न सिर्फ़ ज़मीन का सही उपयोग हो रहा है, बल्कि रेलवे को स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा भी मिल रही है।
इस प्रोजेक्ट से रेलवे के बिजली के बिल में कमी आने की उम्मीद है, साथ ही कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी मदद मिलेगी। यह पहल भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को भी बढ़ावा देती है, क्योंकि ये पोर्टेबल सौर पैनल भारत में ही बनाए गए हैं।
यह अनोखा प्रयोग अन्य रेलवे डिवीजनों के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है, जिससे पूरे देश में रेलवे को सौर ऊर्जा से संचालित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा सकेगा।