ऑपरेशन सिंदूर पर राजनीति थमने के आसार कम ही हैं। इस ऑपरेशन के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपनी-अपनी रणनीतियों के तहत आगे बढ़ेंगे। भाजपा जहां इसे अपनी जीत बताकर चुनाव में भुनाएगी तो कांग्रेस और विपक्षी दल ट्रंप की मध्यस्थता के मुद्दे को जोरशोर से उछालेंगे। कांग्रेस मोदी की तुलना इंदिरा गांधी से करेगी तो भाजपा भी आतंकवाद पर मनमोहन बनाम मोदी का मुद्दा उछालेगी। कुल मिलाकर ऑपरेशन सिंदूर पर राजनीति तेज होने की संभावना है। भाजपा इसे अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करेगी, जबकि कांग्रेस सरकार से सवाल पूछेगी और ट्रंप के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करेगी।
भाजपा की ये हो सकती है रणनीति
- राष्ट्रवाद का मुद्दा : भाजपा इस ऑपरेशन को अपनी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में पेश करेगी। वे इसे अपनी आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के प्रमाण के रूप में भी इस्तेमाल करेंगे।
- चुनावी लाभ : आने वाले चुनावों में भाजपा इस ऑपरेशन को एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा बना सकती है। वे इसे अपनी सरकार की उपलब्धियों के रूप में पेश करेंगे और मतदाताओं को यह संदेश देंगे कि केवल उनकी सरकार ही देश को सुरक्षित रख सकती है। इस साल बिहार तो अगले साल पश्चिम बंगाल में चुनाव होने हैं। 2027 में उप्र में चुनाव होंगे।
- विपक्षी दलों पर हमला : भाजपा विपक्षी दलों पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर राजनीति करने का आरोप लगा सकती है। वे उन्हें देश की सुरक्षा के प्रति असंवेदनशील बता सकते हैं।
कांग्रेस की यह हो सकती है रणनीति
- सरकार से सवाल : कांग्रेस सरकार से इस ऑपरेशन के बारे में विस्तृत जानकारी मांग सकती है। वे इस ऑपरेशन की आवश्यकता, इसकी योजना और इसके परिणामों पर सवाल उठा सकते हैं।
- कूटनीतिक प्रभाव : कांग्रेस सरकार से इस ऑपरेशन के कूटनीतिक प्रभावों के बारे में भी सवाल पूछ सकती है। वे यह जानना चाहेंगे कि इस ऑपरेशन से भारत के पड़ोसी देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संबंधों पर क्या असर पड़ेगा।
- ट्रंप का मुद्दा : ट्रंप की मध्यस्थता के दावे पर कांग्रेस शुरू से हमलावर है। वह इस मुद्दे को जोरशोर से उठाएगी और पीएम मोदी को कमजोर प्रधानमंत्री साबित करने का प्रयास करेगी और सरकार को घेरने की कोशिश करेंगे।
- एकजुट विपक्ष : कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने की कोशिश करेगी। वे सरकार को घेरने के लिए संसद के अंदर और मुद्दे उठाएंगे।