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    बिहार में राजनीतिक हलचल तेज.. ओवैसी की पार्टी ने लालू को दिया यह ऑफर

    बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने एक बार फिर महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है। AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और एकमात्र विधायक अख्तरुल ईमान ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को औपचारिक तौर पर एक चिट्ठी भेजकर गठबंधन में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।

    यह घटनाक्रम बिहार के सियासी गलियारों में गरमागरम बहस का विषय बन गया है कि क्या लालू प्रसाद यादव, जो अब पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं, ओवैसी के इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे। बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि लालू यादव और महागठबंधन AIMIM के इस प्रस्ताव पर क्या फैसला लेते हैं।

    चिट्ठी में क्या?

    अख्तरुल ईमान ने अपनी चिट्ठी में साफ तौर पर कहा है कि अगर ‘सेक्युलर वोटों’ को बंटने से रोकना है, तो AIMIM को महागठबंधन में शामिल करना बेहद ज़रूरी है। उन्होंने तर्क दिया कि वोटों के बंटवारे का सीधा फायदा ‘सांप्रदायिक ताकतों’ (भाजपा और NDA) को होता है, और 2025 के चुनाव में इसे रोकना आवश्यक है। ईमान ने यह भी याद दिलाया कि AIMIM ने 2020 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी महागठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश की थी, लेकिन तब उनके प्रयासों को सफलता नहीं मिली थी।

    लालू के पाले में गेंद

    अब गेंद पूरी तरह से लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के पाले में है। AIMIM के कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है और दावा किया है कि उनकी तेजस्वी यादव और कांग्रेस के नेताओं से बातचीत चल रही है। हालांकि, राजद की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव ने पहले कहा था कि उन्हें AIMIM नेतृत्व से कोई सीधा प्रस्ताव नहीं मिला है। अब जब औपचारिक चिट्ठी भेजी गई है, तो राजद का जवाब अहम होगा।

    सियासी मायने

    AIMIM का बिहार के सीमांचल क्षेत्र में खासा प्रभाव है, जहां मुस्लिम आबादी अच्छी खासी संख्या में है। 2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 5 सीटें जीती थीं, हालांकि बाद में उनके 4 विधायक RJD में शामिल हो गए थे। यदि AIMIM महागठबंधन का हिस्सा बनती है, तो यह मुस्लिम वोटों के एकीकरण में मदद कर सकती है, खासकर उन सीटों पर जहां वोटों का बिखराव NDA को फायदा पहुंचा सकता है। हालांकि, RJD और कांग्रेस पर ‘वोटकटवा’ या भाजपा की ‘बी-टीम’ होने का आरोप लगाने वाली AIMIM को स्वीकार करना महागठबंधन के लिए एक मुश्किल फैसला भी हो सकता है, क्योंकि इससे गठबंधन की आंतरिक गतिशीलता और सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।

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