16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश पाकिस्तान की गिरफ्त से आजाद हुआ था। पाकिस्तान ने वहां के लोगों को दबाने की कोशिश की, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। अब इसी तर्ज पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में विद्रोह की चिंगारी सुलग चुकी है। आम जनता सडक़ों पर है तो पाकिस्तानी सेना दमन चक्र चलाए हुए है। हालात यह हैं कि निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाई जा रही हैं, आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं। इस हिंसक दमन चक्र के आगे पीओके की जनता झुकने को तैयार नहीं है। सेना और पुलिस के इस अत्याचार में 4 आम लोगों की मौत हो चुकी है तो 90 से ज्यादा लोग घायल हैं। सैकड़ों नागरिकों को सेना ने हिरासत में लिया है। इस विरोध-प्रदर्शन और पत्थरबाजी-हिंसा में पुलिस के एक एएसआई की मौत भी हो चुकी है। इस विद्रोह की कमान जम्मू कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी ने संभाली है।
दिवालिया पाक में भुखमरी का आलम
पाकिस्तान इस सम सबसे बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। आईएमए के बेल आउट पैकेज ने उसे बचा जरूर लिया है, लेकिन महंगाई और आर्थिक बदहाली ने पूरे देश को बेहाल कर दिया है। भारत के व्यापार बंद करने से पाकिस्तान के व्यापारी और जनता कंगाल हो चुकी है। कंगाल पाकिस्तान ने अब लोगों की सब्सिडी भी बंद कर दी है। बिजली और पेट्रोलियम के दाम आसमान छू रहे हैं।
पीओके की हाल और भी खराब
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने पीओके को उसके हाल पर छोड़ दिया है। यही वजह है कि महंगाई से पीओके के हालात और भी खराब हैं। हालांकि सरकार ने पीओके को सब्सिडी पैकेज का लाल दिया, लेकिन घाटी के लोग झांसे में नहीं आए। इसके बाद 4 दिन से विरोध-प्रदर्शन और पत्थरबाजी के कारण पीओके में बवाल की स्थिति है। पीओके में आटा जैसी जरूरी चीज तक नहीं मिल रही है। यहां बिजली का उत्पादन होता है, लेकिन पीओके में अंधकार है और पाकिस्तान यहां की बिजली अपने पंजाब प्रांत को दे देता है। पाकिस्तान सरकार ने एक नया टैक्स भी थोप दिया है जिसके कारण से व्यापारी और जनता बेहद आक्रोश में है। पीओके बंद के दौरान उमड़ी जनता से पाकिस्तान की सरकार खौफ में है। विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तान रेंजर्स को बुलाया गया, जो हिंसक और बेरहम होते हैं।