प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी आठ दिवसीय पांच देशों की यात्रा पूरी कर आज भारत लौट आए हैं। इस दौरे पर उन्होंने महत्वपूर्ण राजनयिक बैठकें कीं और कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जो भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। पीएम मोदी की यह आठ दिवसीय बहुराष्ट्रीय यात्रा भारत की वैश्विक भागीदारी को बढ़ाने, विशेष रूप से अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण रही। यह दौरा निश्चित रूप से भारत के आर्थिक, सामरिक और राजनयिक हितों को बढ़ावा देगा।
यात्रा का विवरण और मुख्य बातें:
पीएम मोदी ने अपनी यात्रा की शुरुआत अफ्रीका के घाना से की, जहाँ उन्होंने राष्ट्रपति नाना अकुफो-एडो से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया। भारत ने घाना के विकास परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।
इसके बाद, पीएम मोदी ने कैरेबियाई देश त्रिनिदाद एंड टोबैगो का दौरा किया। यहाँ उन्होंने प्रधानमंत्री कीथ रोवले के साथ व्यापक बातचीत की, जिसमें ऊर्जा सुरक्षा, ब्लू इकोनॉमी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर विशेष ध्यान दिया गया। दोनों देशों ने पर्यटन और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।
तीसरा पड़ाव लैटिन अमेरिका में अर्जेंटीना था, जहाँ पीएम मोदी ने राष्ट्रपति जेवियर माइली से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश और तकनीकी सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की, खासकर कृषि और खनिज क्षेत्रों में।
अर्जेंटीना के बाद, पीएम मोदी ब्राजील पहुंचे, जहाँ उन्होंने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया। ब्रिक्स नेताओं के साथ उन्होंने वैश्विक आर्थिक स्थिति, बहुपक्षीय सहयोग और विकासशील देशों की चुनौतियों पर गहन विचार-विमर्श किया। शिखर सम्मेलन के बाद, पीएम मोदी ने ब्रासीलिया की राजकीय यात्रा भी की, जहाँ उन्होंने राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया। इस दौरान हरित ऊर्जा, रक्षा और डिजिटल प्रौद्योगिकी में सहयोग बढ़ाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
अपनी यात्रा के अंतिम चरण में, पीएम मोदी नामीबिया गए। यहाँ उन्होंने राष्ट्रपति नांगोलो मबुम्बा से मुलाकात की और खनिज, वन्यजीव संरक्षण और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। नामीबिया के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के लिए यह यात्रा महत्वपूर्ण थी।