भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने घरेलू क्रिकेट के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए ‘सीरियस इंजरी रिप्लेसमेंट’ (Serious Injury Replacement) नियम लागू किया है। यह नियम मल्टी-डे मैचों में किसी खिलाड़ी को गंभीर चोट लगने पर उसे मैच में ही बदलने की अनुमति देता है।
यह ऐतिहासिक कदम हाल ही में भारत-इंग्लैंड के बीच हुई सीरीज में ऋषभ पंत और क्रिस वोक्स जैसे खिलाड़ियों को लगी चोटों के बाद उठाया गया है। अब तक केवल सिर में चोट लगने (कनकशन) पर ही खिलाड़ी का रिप्लेसमेंट मिलता था, लेकिन अब अन्य गंभीर चोटों के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध होगी।
नियम की मुख्य बातें:
- चोट की प्रकृति: खिलाड़ी को चोट बाहरी झटके से लगी होनी चाहिए, जैसे कि फ्रैक्चर, गहरा कट या डिसलोकेशन।
- मैच रेफरी की मंजूरी: रिप्लेसमेंट के लिए टीम को मैच रेफरी से अनुमति लेनी होगी। मैच रेफरी डॉक्टर और ऑन-फील्ड अंपायरों से सलाह के बाद ही फैसला लेंगे।
- लाइक-फॉर-लाइक रिप्लेसमेंट: रिप्लेसमेंट खिलाड़ी उसी तरह का होना चाहिए, यानी अगर कोई गेंदबाज चोटिल होता है तो उसकी जगह गेंदबाज ही आएगा, न कि बल्लेबाज।
- घरेलू टूर्नामेंटों तक सीमित: यह नियम फिलहाल केवल घरेलू मल्टी-डे टूर्नामेंटों, जैसे कि रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और सीके नायडू ट्रॉफी (अंडर-19) में लागू होगा। यह वनडे, टी20 या आईपीएल जैसे सफेद गेंद वाले फॉर्मेट में लागू नहीं होगा।
- विकेटकीपर के लिए छूट: अगर किसी टीम के पास सब्स्टीट्यूट की सूची में कोई अतिरिक्त विकेटकीपर नहीं है, तो मैच रेफरी टीम को बाहर से किसी खिलाड़ी को विकेटकीपर के रूप में लेने की अनुमति दे सकते हैं।
यह बदलाव भारतीय घरेलू क्रिकेट में एक नया अध्याय शुरू कर सकता है, जिससे किसी टीम को एक खिलाड़ी की चोट के कारण नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। हालांकि, इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स जैसे कुछ खिलाड़ियों ने इस नियम की आलोचना भी की है, उनका मानना है कि चोट खेल का हिस्सा है।