पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने अगले वित्तीय वर्ष के लिए 18.30 अरब रुपये (लगभग 62 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का महत्वाकांक्षी बजट मंजूर किया है। हालांकि, इस बजट में बड़े खिलाड़ियों की सैलरी में इज़ाफा और युवा खिलाड़ियों के विकास कार्यक्रमों में कटौती को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कई क्रिकेट पंडितों का मानना है कि पीसीबी ने “नाक कटवाने वाले” यानी औसत प्रदर्शन करने वाले स्थापित खिलाड़ियों की जेबें तो भरी हैं, लेकिन “भविष्य के सितारों” की वित्तीय सुरक्षा और विकास को दरकिनार कर दिया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, पीसीबी ने अपने केंद्रीय अनुबंधों में शामिल वरिष्ठ खिलाड़ियों की फीस में उल्लेखनीय वृद्धि की है, भले ही उनके हालिया प्रदर्शन निराशाजनक रहे हों। दूसरी ओर, उभरते हुए खिलाड़ियों, राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के सदस्यों और घरेलू क्रिकेटरों के लिए आवंटित फंड में कथित तौर पर कटौती की गई है। आलोचकों का कहना है कि यह कदम पाकिस्तान क्रिकेट के भविष्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है, क्योंकि यह युवा प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें उचित वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहता है।
पीसीबी के अधिकारियों ने इस निर्णय का बचाव करते हुए कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धात्मक वेतन प्रदान करने और प्रतिभा पलायन को रोकने के लिए आवश्यक था। उनका तर्क है कि बड़े खिलाड़ियों की उच्च सैलरी उन्हें विदेशी लीगों में खेलने से हतोत्साहित करेगी और वे पाकिस्तान के लिए अधिक उपलब्ध रहेंगे।
कई पूर्व क्रिकेटरों और विश्लेषकों का कहना है कि यह नीति दूरदर्शी नहीं है। उनका मानना है कि जब तक घरेलू क्रिकेटरों और युवा प्रतिभाओं को उचित वित्तीय सहायता और सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तब तक पाकिस्तान क्रिकेट की नींव कमजोर ही रहेगी। कुछ ने तो यह भी सुझाव दिया है कि पीसीबी को अपने खर्चों का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बजट का एक बड़ा हिस्सा जमीनी स्तर के विकास और युवा खिलाड़ियों के प्रशिक्षण पर खर्च हो।
यह देखना दिलचस्प होगा कि पीसीबी का यह नया बजट पाकिस्तान क्रिकेट पर क्या प्रभाव डालता है और क्या यह वास्तव में भविष्य के सितारों को निखारने में मदद करता है या उन्हें और भी हाशिए पर धकेलता है।