जिंदगी में मंजिल की तलाश हर किसी को रहती है। लेकिन सफलता की मंजिल उसी को मिलती है जो मुश्किलों से लड़ना जानता है। ऐसा ही कुछ हुआ है जालौर के गांव नौरवा के छात्र चम्पालाल के साथ। कारीगर पिता कालूराम और नरेगा मजदूर मां शांति देवी का सपना सच हो गया, दोस्त खेराजराम की मेहनत भी काम आई।
अब चम्पालाल डाॅक्टर बनेगा। सीबीएसई द्वारा जारी किए गए नीट के परिणाम में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट कोटा के इस छात्र चम्पालाल ने एससी कैटेगिरी में 143वीं रैंक प्राप्त की। अपेक्षा के अनुरूप परिणाम आने पर पूरा परिवार खुश है। चम्पालाल की सफलता गांव के लिए भी शान की बात है जो सरकारी मेडिकल काॅलेज में पढ़ने वाला पहला छात्र होगा। गांव से एक अन्य विद्यार्थी पूर्व में प्राइवेट मेडिकल काॅलेज से एमबीबीएस कर रहा है।
चम्पालाल ने बताया कि परिवार में चार भाई और एक बहन है। मैं सबसे बड़ा भाई हूं। पिता कालूराम कारीगर हैं और वे ही परिवार चलाते हैं। विपरित परिस्थितियों ने मां शांति देवी ने भी नरेगा में मजदूरी की। मकान आधा कच्चा और आधा पक्का है। चम्पालाल के परिवार में किसी के पास स्मार्ट फोन तक नहीं है। ढाई बीघा खेत है। मां अनपढ़ है तथा पिता पांचवी पास हैं।
माहौल मिले तो प्रतिभा कैसे निखरती है, इसका उदाहरण चम्पालाल है। चम्पालाल का परीक्षाओं में प्रदर्शन लगातार बेहतर होता चला गया। दसवीं तक की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में की। 58 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। इसके बाद 12वीं तक की पढ़ाई करने के लिए जोधपुर आया। यहां सरकारी स्कूल राजकीय महात्मा गांधी उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढ़कर 12वीं में 69 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। अब नीट में भी 541 अंक लाकर अच्छा स्कोर किया और कैटेगिरी में 143 रैंक प्राप्त की। नीट आॅल इंडिया रैंक 13165 है।