भारत ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को भारी नुकसान पहुंचाया है, जिसमें चीन निर्मित HQ-9 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और एक महत्वपूर्ण रडार स्टेशन शामिल हैं। यह कार्रवाई भारत द्वारा पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी ठिकानों पर किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुई है। सूत्रों के मुताबिक, भारतीय वायुसेना ने लाहौर के पास स्थित एक HQ-9 यूनिट को निशाना बनाया और उसे तबाह कर दिया। HQ-9 एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे पाकिस्तान ने अपनी हवाई सुरक्षा को मजबूत करने के लिए चीन से खरीदा था। इसे चीन का सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है और इसकी तुलना रूस के एस-300 और अमेरिका के पैट्रियट मिसाइल सिस्टम से की जाती है। भारतीय सेना ने एक बड़े पाकिस्तानी रडार सिस्टम को भी नष्ट कर दिया है, जिससे उनकी हवाई निगरानी क्षमता कमजोर हो गई है। यह रडार सिस्टम देश के पश्चिमी हिस्से में स्थित था और हवाई क्षेत्र की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता था।
चीन की विश्वसनीयता संदिग्ध
ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि पाकिस्तान के पास मौजूद परमाणु हथियार भी चीनी तकनीक पर आधारित हैं और उनकी विश्वसनीयता संदिग्ध हो सकती है। इन घटनाओं ने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और अधिक गंभीर बना दिया है। पाकिस्तान की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि इस नुकसान को इस्लामाबाद में गंभीरता से लिया जाएगा। सोशल मीडिया पर एक सनसनीखेज दावा वायरल हो रहा है, जिसमें कहा जा रहा है कि पाकिस्तान के पास मौजूद परमाणु हथियार वास्तव में चीन द्वारा चोरी की गई तकनीक पर आधारित चाइनीज माल हैं। इन दावों में यह भी कहा जा रहा है कि यह तकनीक चोरी करके पाकिस्तान को सौंपी गई थी। हालांकि इन दावों की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है और न ही किसी विश्वसनीय स्रोत से इसकी पुष्टि मिलती है। परमाणु हथियारों से जुड़ी जानकारी अत्यधिक गोपनीय होती है और इस तरह के संवेदनशील मामलों पर अटकलें लगाना खतरनाक हो सकता है। हाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को नुकसान पहुंचाने और आतंकवादी ठिकानों पर कार्रवाई के बाद, दोनों देशों के बीच संबंध काफी खराब हो गए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सुरक्षा को लेकर चिंताएं
यह भी उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने हमेशा अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को स्वतंत्र और सुरक्षित बताया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं व्यक्त की जाती रही हैं। खासतौर पर अमेरिका ने समय-समय पर इस संबंध में चिंता जताई है।