पाकिस्तान के दोस्त तुर्की का भारत में विरोध देखा जा रहा है। वह तुर्की ही था, जिसने भारत के खिलाफ अपने ड्रोन दिए, जो कि नाकाम साबित हुए। तब से तुर्की का भारतमें जबर्दस्त विरोध हुआ है। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के दौरान तुर्की और अजऱबैजान द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करना है। जबकि चीन से आयात लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में सवाल यही है कि चीन का इलाज भी जरूरी हो गया है।
तुर्की का ऐसे हुआ इलाज
- तुर्की का बायकॉट : भारत में कई व्यापारिक समूहों और आम नागरिकों ने तुर्की और अजऱबैजान के सामान और पर्यटन का बहिष्कार करने का आह्वान किया है।
- सोशल मीडिया पर “#BoycottTurkey” और “#BoycottAzerbaijan” जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। ट्रेवल पोर्टल्स जैसे MakeMyTrip और Cleartrip ने तुर्की और अज़रबैजान के लिए बुकिंग में भारी गिरावट और कैंसिलेशन में वृद्धि दर्ज की है।
- बिहार के प्रमुख व्यापारिक संगठनों ने भी तुर्की और अजऱबैजान से जुड़े सामान और यात्रा का बहिष्कार करने का संकल्प लिया है।
- उदयपुर के मार्बल व्यापारियों के संघ ने तुर्की से मार्बल का आयात बंद कर दिया है और केंद्र सरकार से इस पर औपचारिक प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
- फल व्यापारियों ने भी तुर्की से फलों का आयात और बिक्री बंद करने का फैसला किया है।
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने भी तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ एक समझौते को रद्द कर दिया है।
चीन से ऐसे बढ़ रहा आयात
दूसरी ओर, चीन के साथ भारत का व्यापार जारी है, और कुछ क्षेत्रों में आयात बढ़ भी रहा है। मार्च 2025 में, पाकिस्तान ने चीन से 2.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात किया, जबकि निर्यात केवल 226 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जिससे व्यापार घाटा काफी बढ़ गया। हालांकि भारत में चीन के कुछ उत्पादों के बहिष्कार की भी खबरें हैं, लेकिन कुल मिलाकर व्यापारिक संबंध बने हुए हैं। यह स्थिति दिखाती है कि भू-राजनीतिक घटनाक्रम किस प्रकार देशों के व्यापारिक रिश्तों को प्रभावित कर सकते हैं। पाकिस्तान के प्रति तुर्की के समर्थन के कारण भारत में उसका विरोध बढ़ रहा है, जबकि चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों की गतिशीलता अलग बनी हुई है।