भारत की अग्नि-5 मिसाइल की नकल बनाने की पाकिस्तान की कोशिशें एक बार फिर मुंह के बल गिरी हैं। हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय खुफिया एजेंसियों को ऐसी जानकारी मिली है जिससे खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान की बहुप्रचारित ‘अबाबील’ मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) मिसाइल का परीक्षण पूरी तरह से विफल रहा है। यह विफलता पाकिस्तान के परमाणु निवारक कार्यक्रम के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है।
खुफिया सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले साल यानी 2024 के अंत में पाकिस्तान ने ‘अबाबील’ मिसाइल का एक गुप्त परीक्षण किया था, जिसका मकसद एक साथ कई ठिकानों को निशाना बनाने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करना था, ठीक वैसे ही जैसे भारत की अग्नि-5 मिसाइल करती है। हालांकि, यह परीक्षण तकनीकी खराबी और गाइडेंस सिस्टम की विफलता के कारण अपने लक्ष्यों को भेदने में नाकाम रहा। इस विफलता की पुष्टि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान जुटाए गए इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और अन्य खुफिया जानकारियों से हुई है, जिसने पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
भारत की अग्नि-5 एक इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जिसकी रेंज 5,000 किलोमीटर से अधिक है और यह MIRV तकनीक से लैस है, यानी एक मिसाइल कई परमाणु हथियार ले जाकर अलग-अलग लक्ष्यों पर गिरा सकती है। पाकिस्तान की ‘अबाबील’ को इसी क्षमता को हासिल करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन ताजा विफलता ने उसकी सीमाओं को उजागर कर दिया है।
यह खबर ऐसे समय में आई है जब क्षेत्र में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है। पाकिस्तान लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता रहा है, लेकिन ‘अबाबील’ की विफलता ने उसकी तकनीकी अक्षमताओं को सबके सामने ला दिया है। इससे शहबाज शरीफ सरकार और उनकी रक्षा प्रतिष्ठान पर भी सवाल उठ रहे हैं कि वे इतने बड़े प्रोजेक्ट में असफल क्यों हुए और क्या पाकिस्तान के वैज्ञानिक इस तरह की जटिल मिसाइल तकनीक को विकसित करने में सक्षम हैं या नहीं। इस घटनाक्रम से भारत की क्षेत्रीय सैन्य श्रेष्ठता और मजबूत हुई है, खासकर उसकी विश्वसनीय परमाणु निवारक क्षमता के संदर्भ में।