भारत के बाद अब अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान को पानी की सप्लाई सीमित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। तालिबान के सर्वोच्च नेता शेख हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने कुनार नदी पर बांधों का निर्माण तुरंत शुरू करने का आदेश दिया है, जिससे पाकिस्तान में जल संकट गहरा सकता है।
तालिबान का ‘फुल प्रूफ प्लान’:
- कुनार नदी पर बांध: तालिबान के सूचना उप मंत्री मुजाहिद फराही ने घोषणा की कि जल एवं ऊर्जा मंत्रालय को कुनार नदी पर बिना किसी देरी के बांधों का निर्माण शुरू करने के निर्देश मिले हैं। कुनार नदी पाकिस्तान के लिए पानी का एक प्रमुख स्रोत है, जो काबुल नदी की सहायक नदी है।
- घरेलू कंपनियों को प्राथमिकता: तालिबान के सुप्रीम लीडर ने यह भी निर्देश दिया है कि बांध निर्माण के लिए विदेशी कंपनियों का इंतजार करने के बजाय, घरेलू अफगान कंपनियों के साथ जल्द से जल्द अनुबंध किया जाए।
- ‘हमारा पानी, हमारा हक’: ऊर्जा और जल मंत्रालय के प्रमुख मुल्ला अब्दुल लतीफ मंसूर ने इस कदम का समर्थन करते हुए स्पष्ट कहा है कि “अफगानों को अपने जल संसाधनों के प्रबंधन का अधिकार है।” इस घोषणा को तालिबान का खुला ऐलान माना जा रहा है कि कुनार नदी का पानी सिर्फ अफगानिस्तान का है।
पाकिस्तान पर दोहरी मार:
यह फैसला पाकिस्तान के लिए एक दोहरी मार साबित हो सकता है।
- भारत की तरफ से दबाव: भारत पहले ही सिंधु जल संधि के तहत सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी नदियों के पानी के इस्तेमाल को लेकर अपनी परियोजनाओं को तेज कर चुका है, जिससे पाकिस्तान पर पहले से ही दबाव है।
- अफगानिस्तान से पानी पर रोक: कुनार नदी पर बांध बनने से पाकिस्तान की काबुल नदी के जल प्रवाह में 16 से 17% तक की कमी आ सकती है। इससे खैबर पख्तूनख्वा सहित पाकिस्तान के निचले कृषि क्षेत्रों में सिंचाई और पेयजल की गंभीर किल्लत हो सकती है।
विश्लेषकों का कहना है कि अफगानिस्तान का यह कदम दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा और सुरक्षा तनाव के बीच आया है। तालिबान और भारत के इस ‘फुल प्रूफ प्लान’ से पाकिस्तान को आने वाले समय में पानी के लिए ‘प्यासा मरना’ पड़ सकता है।


