तुर्की के इस्तांबुल में हुई पाकिस्तान और अफगानिस्तान की शांति वार्ता बिना किसी नतीजे के समाप्त होने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। पाकिस्तान के आक्रामक रुख के जवाब में तालिबान की ओर से सीधे युद्ध की धमकी दी गई थी, जिसके बाद अब पाकिस्तान का रुख कुछ नरम पड़ता दिख रहा है।
पाकिस्तान ने की बातचीत की पेशकश
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान की धमकी के बाद रविवार को पाकिस्तान की ओर से एक बड़ा बयान सामने आया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह बातचीत के जरिए द्विपक्षीय मतभेदों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है और अफगानिस्तान के साथ बातचीत चाहता है। इस पहल से दोनों देशों के बीच तनाव कम होने की उम्मीद जगी है।
तुर्की के मंत्री करेंगे इस्लामाबाद की यात्रा
दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के उद्देश्य से तुर्की मध्यस्थता की भूमिका निभा सकता है। तुर्की के विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और खुफिया प्रमुख जल्द ही पाकिस्तान की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। ये अधिकारी अफगानिस्तान के साथ स्थायी युद्धविराम और शांति समझौते पर चर्चा करेंगे।
तालिबान ने दी थी युद्ध की धमकी
इस्तांबुल वार्ता की विफलता के लिए अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि इस्लामाबाद की मांगें अनुचित थीं, जिसके चलते बातचीत बेनतीजा खत्म हो गई। मुजाहिद ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अफगानिस्तान क्षेत्र में असुरक्षा नहीं चाहता है और युद्ध उनका पहला विकल्प नहीं है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि “अगर युद्ध छिड़ता है तो हमें अपनी रक्षा करने का अधिकार है। हम पूरी मजबूती से अपनी जमीन के लिए लड़ेंगे।” तालिबान के इस कड़े बयान के बाद ही पाकिस्तान ने बातचीत आगे बढ़ाने की पेशकश की है।
टीटीपी है तनाव का मुख्य मुद्दा
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव का सबसे महत्वपूर्ण कारण तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) है।
- पाकिस्तान ने तालिबान सरकार पर टीटीपी को पनाह देने का आरोप लगाया है, जिसने पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर लगातार हमले किए हैं।
- अफगानिस्तान इस आरोप से लगातार इनकार करता रहा है।
- टीटीपी के मुद्दे पर दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पा रही है, जिसके कारण बीते महीने सीमा पर झड़पें भी देखने को मिली थीं। इससे पाकिस्तान-अफगान सीमा पर लगातार तनाव बना हुआ है।


