इजरायल को दहलाने वाला हमास सीधे तौर पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नहीं पहुंचा है। हालांकि हालिया घटनाक्रमों से इस क्षेत्र में हमास की उपस्थिति और उसकी गतिविधियों के संकेत मिलते हैं। रिपोर्टों के अनुसार, पहलगाम हमले से दो महीने पहले, हमास के वरिष्ठ नेताओं ने पीओके का दौरा किया और वहां एक सार्वजनिक सभा में भाग लिया। इस रैली का आयोजन रावलकोट में किया गया था और इसमें हमास के प्रवक्ता खालिद कद्दूमी और नाजी ज़हीर सहित कई नेता शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम को कश्मीर में जिहादी अभियान को इजरायल के खिलाफ हमास के संघर्ष से जोडऩे के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
पहलगाम आतंकी में गठजोड़ की अटकलें
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच में हमास और पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैसे जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के बीच गठजोड़ सामने आया है। खुफिया सूत्रों के अनुसार, इस हमले के साजिशकर्ताओं ने 5 फरवरी, 2025 को पीओके में एक कट्टरपंथी सम्मेलन में भाग लिया था, जिसका उद्देश्य हमास और पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों के बीच संबंधों को मजबूत करना था।
प्रशिक्षण और सहयोग की खबर
खुफिया सूत्रों से यह भी पता चला है कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकवादियों को पीओके में प्रशिक्षित किया गया था, जहां हमास ने जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा द्वारा संचालित शिविरों में प्रशिक्षण मॉड्यूल स्थापित किए हैं। इससे हमास और पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों के बीच बढ़ते सहयोग का पता चलता है। इन रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि हमास की सीधी उपस्थिति पीओके में भले ही न हो, लेकिन इस क्षेत्र में उसके नेताओं की यात्राओं, आतंकी समूहों के साथ बैठकों और प्रशिक्षण गतिविधियों से पीओके में उसकी पैठ और प्रभाव बढ़ रहा है। यह भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इससे सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा मिल सकता है।


