भारत सरकार ने पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के बाद बाद पाकिस्तान के खिलाफ कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 5 बड़े कदम उठाकर सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पड़ोसी देश के आतंकी हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा। इनमें सबसे प्रमुख है सिंधु जल संधि। अगर इस संधि के मुताबिक पाकिस्तान को देने वाले पानी पर रोक लगा दी गई, तो पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था चौपट हो जाएगी। ऐसे में इस वाटर वॉर से पाािकस्तान में भी दहशत का माहौल है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पहलगाम की घटना के बाद भारत के कदमों को गैरजिम्मेदाराना कार्रवाई कहा और इस पर विस्तार से चर्चा करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई। गौरतलब है कि भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है और पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कम करने की घोषणा की जिसमें उसके सैन्य अताशे को निष्कासित करना भी शामिल है।
भारत ने जल्दबाजी में उठाए कदम
‘रेडियो पाकिस्तान’ ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा समिति आंतरिक और बाहरी स्थितियों पर विचार-विमर्श करेगी और भारत द्वारा जल्दबाजी में उठाए गए, आवेगपूर्ण और अव्यावहारिक जल संबंधी कदमों की समीक्षा करेगी। उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने बुधवार देर रात एक निजी टीवी चैनल से बात करते हुए भारत के दृष्टिकोण की आलोचना की और इसे ‘अपरिपक्व’ और ‘जल्दबाजी’ कहा। डार ने कहा कि भारत ने कोई सबूत नहीं दिया है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कोई परिपक्वता नहीं दिखाई है। यह एक गैर-गंभीर दृष्टिकोण है। उन्होंने घटना के तुरंत बाद ही इसे तूल देना शुरू कर दिया।’
पाक के विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने आतंकी हमले में जानमाल के नुकसान पर खेद व्यक्त किया। राजनयिक पर्यवेक्षकों ने चेतावनी दी है कि भारत की प्रतिक्रिया और पाकिस्तान के जवाबी संदेश द्विपक्षीय संबंधों को नए निचले स्तर पर ले जा सकते हैं, जिससे 2019 के पुलवामा-बालाकोट घटनाक्रम के बाद से चली आ रही दरार और बढ़ सकती है। संधि निलंबन से विशेष रूप से, दीर्घकालिक जल विवाद भडक़ने का जोखिम हो सकता है, जबकि राजनयिक संबंधों को कम करने से भविष्य में किसी भी तरह के तनाव को कम करने के प्रयासों में बाधा आ सकती है।