पाकिस्तान अभी तक चीन की खैरात पर पल रहा था। चीन के कारण उस पर कर्ज का ऐसा बोझ बढ़ा कि वह कंगाली की राह पर तेजी से बढ़ रहा है। पाकिस्तान भीख का कटोरा लेकर खाड़ी देशों और एमआईएएफ के सामने गुहार लगा चुका है, लेकिन कंगाली से नहीं बच पाया। अब उसकी आस अमेरिका पर टिक गई है। दरअसल अमेरिकी विदेश मंत्रालय में दक्षिण-मध्य एशिया के लिए अमेरिकी सहायक सचिव डोनाल्ड ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेनसे पाकिस्तान के लिए 101 मिलियन डॉलर की सहायता देने की मांग की है। लू ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की एक समिति के समक्ष पाकिस्तान समेत दक्षिण एशिया के लिए बजट देने की मांग की है।
आतंकवाद से लडऩे का बहाना
डोनाल्ड लू वही हैं, जिन पर इमरान खान की सरकार को गिराने का आरोप लगा है। लू का कहना है कि पाकिस्तान को यह धनराशि आतंकवाद से लडऩे के लिए खर्च करता है। वहीं आर्थिक सुधारों का समर्थन करने और ऋण राहत प्रदान करने के लिए राशि की जरूरत है। लू ने कहा कि इस वित्तीय सहायता से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थ स्थिर हो जाएगी।
अफगानिस्तान पर भी अमेरिका की नजर
डोनाल्ड लू ने अफगानिस्तान पर भी चिंता जताई है। उनका कहना है कि तालिबान सरकार के साथ संबंध सामान्य करने के लिए उसे आर्थिक सहायता देना जरूरी है। वहीं विदेश विभाग के अधिकारी ने अफगान तालिबान से उसकी हिरासत में सभी अमेरिकी कैदियों को रिहा करने की मांग की है। अमेरिका ने अफगानिस्तान से हटने के बाद अब तक 17.9 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता प्रदान की है।